नर्मदा मिशन के संस्थापक भैयाजी सरकार इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिए गए हैं। नर्मदा घाटी के पर्यावरण को बचाने 256 दिनों से अनशन के कारण हालत गंभीर हो गई है। डॉक्टर्स का कहना है कि अनशन के कारण कमजोरी से हालत बिगड़ी है। सेहत सुधारने के लिए दवाएं दी जा रही हैं। शीघ्र सेहत सुधरने की उम्मीद है।
निराहार रहकर संकल्प को पूरा करने में जुटे भैयाजी सरकार पूर्व में भी इसी तरह आंदोलित हो चुके हैं। नर्मदा मिशन के विशाल तिवारी ने बताया कि राज्य सरकार की संवेदनहीनता के कारण भैयाजी निरंतर अनशनरत हैं। जल-जंगल और जमीन बचाने के लिए उनकी प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है। वे नर्मदा के प्रदूषण व आसपास की नैसर्गिक संपदा के संरक्षण को लेकर सक्रिय हैं। यहां तक कि अपनी जान तक दांव पर लगाने से पीछे नहीं हट रहे।
नर्मदा तट के जल संग्रहण क्षेत्र व 300 मीटर के दायरे में हो रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ भैयाजी ने आंदोलन खड़ा कर दिया है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की है। जिस पर सुनवाई के दौरान समय-समय पर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। इसके बावजूद पालन की दिशा में लापरवाही जारी है। इससे भैयाजी सरकार अत्यंत व्यथित हैं। वे संकल्प ले चुके हैं कि नर्मदा का कोई नुकसान नहीं होने देंगे। जबलपुर से लेकर अमरकंटक और खंबात की खाडी तक उनका आंदोलन विस्तारित हो चुका है।
नर्मदा किनारे पौधारोपण का रिकाॅर्ड भी उनके संगठन के नाम दर्ज है। शिष्यों का एक बड़ा वर्ग उनके साथ है। इनमें कई राजनेता भी शामिल हैं। उद्योगपति भी उनकी शरण में आते रहते हैं। एक संप्रदाय विशेष के साथ उनका विवाद चर्चा में रह चुका है।