सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल पुराने एक आपराधिक मामले की लांजी के पूर्व विधायक किशोर समरीते की अपील की खारिज

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लांजी के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने 20 साल पुराने एक आपराधिक मामले की सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपील खारिज करने के बाद बालाघाट की न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिए। सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई 2024 को बालाघाट की विशेष अदालत द्वारा 22 दिसंबर 2009 को विधायक किशोर समरीते सहित अन्य लोगों को दी गई सजा के आदेश को यथावत रखते हुए। उन्हें 4 सप्ताह के भीतर बालाघाट की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिए थे। उक्त आदेश के पालन में किशोर समरीते ने 24 जून को बालाघाट की विशेष अदालत में आत्म समर्पण किये। जिन्हें जिला जेल भिजवा दिया गया है।

20 साल पहले का क्या है मामला

सन 2004 में धनेश्वरसाय छत्तर लांजी में एसडीएम के पद पर पदस्थ थे। 19 अप्रैल 2004 को 1:45 बजे। एसडीएम धनेश्वर साय, तहसीलदार श्री डहरिया, सीईओ श्री वारी के साथ कोर्ट में डाइस पर बैठे थे। उस समय कार्यालय के अन्य कर्मचारी भी अपनी सीट पर बैठे थे इस अवधि में शासकीय कार्य चल रहा था। उसी समय किशोर समरीते, अनिल नागेश्वर राजू रामटेक्कर ,अजीत हाथीमारे विधान, गुड्डू नंदू ठाकरे सहित अन्य लोग धड़धड़ाते हुए गुंडो की तरह उनके कोर्ट में घुस आए। जो अपने हाथ में डंडे रॉड आदि लिए हुए थे किशोर समरीते ने एसडीएम धनेश्वर साय को अश्लील जातिगत गालियां देते हुए बोले की तुमने हाथीमारे का मकान कैसे तुड़वा दिया। वह मेरा आदमी था। इतना कहकर किशोर समरीते ने एसडीएम श्री छत्तर के डाइस पर चढ़ गये और डंडा से एसडीएम श्री छत्तर के सिर में प्राण घातक तरीके से हमला कर मारा ।जिससे एसडीएम श्री छत्तर बाल बाल बच गए थे। किशोर समरीते के साथ में आए उन लोगों ने ऑफिस में तोड़फोड़ की तथा मारपीट करने दौड़े एसडीएम श्री छत्तर अपनी जान बचाकर पीछे के कमरे में चले गए ।एसडीएम छत्तर जिस कमरे में छिपे थे उसे कमरे की खिड़की से पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी। बाहर खड़ी शासकीय जीप एमपी -02-5004 को तोड़फोड़ कर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई थी। इन लोगों में कुछ महिला भी शामिल थी। इस दौरान तहसीलदार, सीईओ, होमगार्ड अरविंद ने बी बचाव किये। उस समय पुलिस वाले भी आ गए थे ।जिनके साथ एसडीएम धनेश्वरसाय छत्तर थाना लांजी पहुंचे और रिपोर्ट की

15 आरोपी के विरुद्ध दर्ज किया गया था अपराध

इस मामले में एसडीम धनेश्वर साय छत्तर द्वारा की गई रिपोर्ट पर उस समय के लांजी थाना प्रभारी निरीक्षक आशुतोष मिश्रा ने किशोर समरीते 35 वर्ष निवासी लांजी, अनिल उर्फ अनेक गढ़वाल 27 वर्ष निवासी ग्राम चिचटोला लांजी अजीत हाथीमारे 25 वर्ष निवासी भानेगांव थाना लांजी, श्रीमती जैतूरा बाई 35 वर्ष ग्राम पोंनी थाना लांजी, श्रीमती शशि कला बाई 20 वर्ष निवासी ग्राम पोनी थाना लांजी, श्रीमती कस्तूरा बाई 30 वर्ष निवासी ग्राम पोनी थाना लांजी, श्रीमती तुलसा बाई 55 वर्ष निवासी ग्राम पोनी, श्रीमती तूर्जी बाई पन्द्रे 22 वर्ष निवासी पोनी, श्रीमती माहेश्वरी उर्फ मेहरारू सोनवाने 25 वर्ष निवासी पोनी थाना लांजी, कचरा बाई कोसरे 40 साल निवासी ग्राम पोनी थाना लांजी, श्रीराम किरमे 55 साल निवासी टेकरी थाना लांजी, राजू रामटेक्कर 24 साल निवासी पूर्वा टोला थाना लांजी, विधान जोगी 24 वर्ष निवासी दखनी टोला थाना लांजी, गुड्डू उर्फ ओमप्रकाश डोमेढे 29 साल निवासी ग्राम भानेगांव थाना लांजी और नंदू उर्फ नंदकिशोर ठाकरे 58 वर्ष ग्राम भानेगाव थाना लांजी निवासी के विरुद्ध धारा 307 427/ 149, 435/149, 436/149,332/149, भादवि और धारा3(1)10 अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया था। और इस मामले में सभी आरोपियों को गिरफ्तार करके बालाघाट की विद्वान अदालत में पेश किया गया था।

किशोर समरीते सहित सात आरोपियो को सुनाई गई थी सजा

22 दिसंबर 2009 को अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश दिलीप कुमार मिश्र की विद्वान अदालत ने मामले की समस्त परिस्थितियों को देखते हुए अपने विवेचना निष्कर्ष और उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर आरोपी किशोर समरीते, अनिल उर्फ अनेक, अजीत उर्फ भूरा, राजू रामटेक्क़र, विधान जोगी, गुड्डू उर्फ ओमप्रकाश तथा नंदू उर्फ नंदलाल को धारा 147 भादवि के तहत अपराध में एक-एक वर्ष के सश्रम कारावास, इसी प्रकार धारा 332/149 भादवि के तहत अपराध में दो-दो वर्ष के सश्रम कारावास, और 1-1 हजार रुपए अर्थ दंड, धारा 427/149 भादवि के तहत अपराध में एक-एक वर्ष का सश्रम कारावास, इसी प्रकार सभी आरोपियों को धारा 435/149भादवि के तहत अपराध में पांच-पांच वर्ष का सश्रम कारावास और प्रत्येक को 10-10हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया गया। इसी प्रकार सभी सात आरोपीयो को धारा 3(1)10 अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध में तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास और प्रत्येक को 1-1 हजार रुपए अर्थ दंड से दंडित किया गया था। इस मामले में शासन की ओर से विशेष लोग अभियोजक मदन मोहन द्विवेदी द्वारा पैरवी की गई।

म.प्र. उच्च न्यायालय जबलपुर ने एससी एसटी एक्ट से किए थे दोष मुक्त

किशोर समरीते ने 22 दिसंबर 2009 को बालाघाट की विशेष न्यायाधीश दिलीप कुमार मिश्र की विद्वान अदालत द्वारा पारित किये इस आदेश के विरुद्ध मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में अपील कर चुनौती दी थी । किंतु मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधिपति ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मामले में पेश की गई अपील को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए आरोपीयो को धारा 3(1)10 अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध के आरोप से दोष मुक्त करते हुए। बालाघाट के विशेष न्यायाधीश द्वारा दी गई अन्य धाराओं के तहत दी गई सजा को बरकरार रख दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने बालाघाट की विशेष अदालत द्वारा दी गई सजा के आदेश को रखे बरकरार

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा बालाघाट की विशेष अदालत द्वारा दी गई सजा को बरकरार रखने के विरुद्ध किशोर समरीते ने सुप्रीम कोर्ट में अपील पेश की थी। पिछले 15 साल से यह मामला सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में पेंडिंग पड़ा हुआ था। इस अपील पर 15 वर्षों में समय-समय पर सुनवाही होती रही। और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई 2024 को किशोर समरीते की इस अपील को खारिज कर दिए और बालाघाट की विशेष अदालत द्वारा 22 दिसंबर 2009 को पारित किए गए आदेश को बरकरार रखते हुए। किशोर समरीते को चार सप्ताह के भीतर बालाघाट की अदालत में आत्म समर्पण करने के आदेश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में 24 जून को किशोर समरीते ने बालाघाट की विशेष अदालत में आत्मसमर्पण कर दिए ।जहां से उन्हें जिला जेल भिजवा दिया गया है।।

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