हर्षोल्लास के साथ मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस

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बालाघाट(पदमेश न्यूज़)।आदिवासियों की विशिष्ट जीवन शैली के महत्व को बरकरार रखने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ की घोषणा के अनुरूप केवल भारत देश ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व में 9 अगस्त के दिन को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।जहां आदिवासियों की सभ्यता, उनकी संस्कृति, वेशभूषा और उनके अधिकारों के संरक्षण की बात दोहराकर उनके हक, अधिकारों को लेकर जन जागरूकता देने के साथ-साथ आदिवासियों के योगदान को भी याद किया जाता है।इसी कड़ी में प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी 9 अगस्त शनिवार को जिला मुख्यालय सहित तहसील व ग्रामीण अंचलों में विश्व आदिवासी दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। आदिवासी समुदाय के लिए समर्पित इस दिन विशेष पर आदिवासी समाज द्वारा सुबह से लेकर देर शाम तक विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए गए। जिसका मुख्य समारोह नगर मुख्यालय में आयोजित किया गया। इन कार्यक्रमों में आदिवासी समुदाय द्वारा नगर में निकाली गई अधिकार रैली मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी रही।

गोगो पूजा से हुई कार्यक्रम की शुरुवात
आदिवासी बाहुल्य, बालाघाट जिले में आदिवासी समाज ने 09 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस उत्साह के साथ मनाया। विश्व आदिवासी दिवस पर शनिवार की सुबहा वारासिवनी रोड स्थित रानी दुर्गावती चौक में गोंगो पूजन का आयोजन कर कार्यक्रम की शुरूवात की गई।जिसके बाद सामाजिक रैली निकाली गई।जिसमें आदिवासी समाज अपने पारंपरिक वेशभूषा में नजर आया। 9 अगस्त विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर गोंगो पूजा, नगर भ्रमण, संवैधानिक अधिकार रैली, महापुरुषों के छाया चित्र पर माल्यार्पण, अतिथियों का सम्मान, सांस्कृतिक और मंचीय कार्यक्रम, के आलावा उद्बोधन और पुरस्कार वितरण सहित अन्य कार्यक्रमों के आयोजन किए गए।जो सुबह से लेकर देर शाम तक चलते रहें।इस दौरान गोंड समाज, परधान समाज ,कोल समाज, माना समाज, हल्बा समाज, कंड़रा समाज, बिझवा समाज,बैगा समाज, ओझा समाज,ओतकरी समाज ,भारिया समाज, नगारची समाज, गोंडी लुहार समाज सहित समाज के विभिन्न वर्गों, संगठनों उनके पदाधिकारी सदस्यों सहित सभी सामाजिक बन्धु प्रमुख रूप से सभी कार्यक्रमों में पारंपरिक वेशभूषा साधारण कर शामिल हुए।

अधिकार रैली रही मुख्य आकर्षण का केंद्र
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी आदिवासियों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाए जाने वाले विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन मुख्यालय में किया गया। दोपहर 01बजे कार्यक्रम स्थल वीरांगना रानी दुर्गावती सामुदायिक भवन से सामाजिक रैली निकाली गई। जिसे अधिकार रैली का नाम दिया गया। इस रैली में शामिल आदिवासी समाज के लोग हाथों में अपनी मांगों की तख्तियां लिए नजर आए।तो वहीं उन्होंने आंबेडकर चौक में गोल घेरा बनाकर सामूहिक रूप से पारंपरिक आदिवासी नृत्य पेश किया।जहां पेश किया गया पारंपरिक नृत्य और अधिकार रैली मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी रही।

समाज के उत्थान की ज्यादातर योजनाएं कागजों में है-
विश्व आदिवासी दिवस पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमो की जानकारी देते हुए मप्र आदिवासी विकाश परिषद जिला अध्यक्ष दिनेश धुर्वे सहित अन्य वक्ता व अतिथियों ने बताया कि विश्व आदिवासी दिवस को पर्व के रूप में जिले का आदिवासी समाज मनाता आ रहा है, लेकिन यह विडंबना है कि बड़े राजनीतिक दलों की सरकारों के बावजूद प्रदेश और जिले के आदिवासी, मुख्यधारा से आज तक जुड़ नहीं पाये है।आज भी आदिवासियों के उत्थान और विकास की योजनायें, कागजो पर ज्यादा है, जबकि धरातल पर योजनाए नहीं पहुची है।सभी योजनाओ का लाभ भी समाज के लोगो को नही मिल रहा है।जिससे आदिवासी समाज, आज भी वंचित और पिछड़ापन का शिकार है।आजादी के 75 से अधिक साल बीत जाने के बावजूद भी आज भी आदिवासी समाज, समस्याओं से ग्रसित है।आदिवासियों में विश्व आदिवासी दिवस की खुशी के साथ ही नाराजगी भी है, नाराजगी इस बात की, कि आदिवासियों पर अत्याचार थमने का नाम नही ले रही है। आदिवासी क्षेत्र में वन और खनिज संपदा के भंडार को सरकार आदिवासियों से छिनकर पूंजीपतियों के हाथो में सौंपना चाहती है।अधिकार रैली के माध्यम से उन्ही हक अधिकारो को मांगा जा रहा है।

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