हाथ में काली पट्टी बांधकर किसान बेचेगा अपनी धान

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किसान संगठन द्वारा स्थानीय शहर के पंवार मंगल भवन में एक बैठक का आयोजन किया गया, जहां जिले के अलग-अलग ब्लॉकों से किसानों के प्रतिनिधि उपस्थित हुए एवं बैठक कर यह निर्णय लिया गया है कि यदि किसी किसान को धान बेचना है तो वह धान बेच सकता है, क्योंकि छोटे किसान के पास दूसरी आवक नहीं होती और वह कैसे और अधिक दिन तक बिना धान बेचे रह सकता है, इसलिए आज बैठक कर यह निर्णय लिया गया है कि किसान अपने अपने क्षेत्र में हाथ पर काली पट्टी बांधकर अपनी धान बेचेगा और यह किसान आंदोलन को इसी प्रकार सतत और लगातार किया जाएगा, जिसमें वह सरकार से यह मांग करेंगे की सरकार द्वारा किए गए धान के समर्थन मूल्य 3100 रुपए को दिया जाए और अब सभी किसान मिलकर एक जल्द ही संगठन का गठन करेंगे और सरकार से धान के समर्थन मूल्य के लिये लड़ाई लड़ेंगे

आपको बता दे की जिले में किसान सरकार द्वारा किए गए वादे अनुसार धान का समर्थन मूल्य 3100 रूपये हेतु बीते दिनों से विरोध स्वरूप धरना प्रदर्शन कर रहा है एवं 2 दिसंबर से चालू हुई धान खरीदी में भी किसान द्वारा अपनी धान बहुत से ब्लॉकों में अभी भी नहीं बेची गई है और किसान द्वारा सरकार से 3100 रूपये धान का समर्थन मूल्य मांग रहा है इसके बाद सरकार द्वारा धान के समर्थन मूल्य पर कोई आश्वासन और बात नहीं कहने पर किसानों द्वारा 10 दिसंबर को जिला बंद कर अलग-अलग तहसीलों को भी बंद किया गया था, जिसमें लालबर्रा में किसानों का बंद के दौरान भारी आक्रोश भी देखने को मिला था , किंतु अब तक सरकार की ओर से किसी प्रकार का आश्वासन नहीं आने पर किसान द्वारा धान बेचने का मन बनाया जा रहा है, क्योंकि बहुत से किसानों का यह मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से ऐसे छोटे किसान हैं जिनके पास आय का दूसरा कोई साधन नहीं है और बीते दिनों से चल रहे आंदोलन और विरोध स्वरूप किसान ने अभी तक बहुत से इलाकों में धान नहीं बेचीं है जिस कारण उनके सामने आर्थिक परेशानी खड़ी हो रही है, इसलिए अब किसान संगठन द्वारा बैठक कर यह निर्णय लिया गया कि क्यों ना अब धान बेच दी जाए और किसानों द्वारा 12 दिसंबर को बालाघाट मुख्यालय में स्थानीय पवार मंगल भवन में एक बैठक का आयोजन किया गया, जहां जिले के दसों ब्लॉक से किसान और उनके प्रतिनिधि बैठक में पहुंचे जहां बारी-बारी से आए हुए प्रतिनिधि और किसानों ने बैठक में अपनी बात रखी जिसमें सभी ने सबसे पहले किसानों को संगठित होने की बात कही , जबकि इस बैठक में बहुत से किसानों के साथ-साथ कुछ ऐसे भी किसान थे जो अलग-अलग राजनीतिक दलों से जुड़े हुए थे, जिन्होंने किसानों की मांग को देखते हुए पार्टी से हटकर पहले किसानों की मांग को प्राथमिकता देते हुए किसान के हितों में बात कही और बताया कि आज किस प्रकार से राजनीतिक पार्टी भी किसानों का साथ नहीं दे रही है इस कारण आज वह अपने राजनीतिक दलों को किनारा कर किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुए और आज वह भी एक ही मांग कर रहे हैं कि सरकार द्वारा किसानों को किए गए वादे के अनुसार 3100 रुपए धान का दिया जाए, ताकि किसान अपनी धान को बेच सके, जिसमें अंत में यह निर्णय लिया गया कि जब अलग-अलग तहसीलों में कुछ छोटे किसान द्वारा धान बेचा ही जा रहा है , तो क्यों ना अब किसान भी काली पट्टी बांधकर धान खरीदी केन्द्रों में अपना धान बेचें पर उनका आंदोलन भी जारी रहेगा और किसानों की जो सरकार से लड़ाई चल रही है, वह लड़ाई भी जारी रहेगी, क्योंकि जल्द ही किसान द्वारा किसान संगठन बनाकर उसके बैनर तले सभी ब्लॉकों में समितियां और संगठन का विस्तार की रणनीति बनाई जा रही है, क्योंकि अब यह निर्णय ले लिया गया है कि जब तक किसानों को 3100 रूपये धान का मूल्य नहीं मिलता यह लड़ाई किसानों की सरकार के साथ जारी रहेगी

काली पट्टी बांधकर बेच रहे किसान धान

बैठक के दौरान कुछ किसानों ने यह भी बताया कि बहुत से जिले की तहसील ऐसी है जहां पर छोटे किसानों द्वारा धान खरीदी केन्द्रों में धान बेचने का कार्य किया जाने लगा है और किसान की यह राय है कि जो किसानों की लड़ाई सरकार से चल रही है, वह लड़ाई सरकार से चालू रहेगी और वह अपनी धान को घरों में भी नहीं रखेंगे इसलिए उन्होंने बीच का रास्ता निकालते हुए हाथों में काली पट्टी बांध कर धान बेचने का मन बनाया है , वहीं कुछ किसानों ने तो यह भी बताया कि जब वह धान खरीदी केन्द्रों में धान बेचने जा रहे हैं, तो अपने वाहनों में काला कपड़ा बांधकर धान खरीदी केंद्र में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे किसी को यह नहीं लगना चाहिए कि किसान द्वारा अपनी लड़ाई खत्म कर ली गई हो, बल्कि यह काला कपड़ा यह याद दिला सके कि किसानों से सरकार की लड़ाई अभी भी चल रही है और जब तक किसानों को धान का समर्थन मूल्य 3100 रूपये नहीं दिया जाता तब तक किसानों की लड़ाई सरकार के साथ चालू रहेगी

75 साल से दोनों दलों के नेता ने खूब लूटा है

बैठक के दौरान लालबर्रा से पहुंचे डूलेंद्र ठाकरे द्वारा बताया गया कि आज किसानों को भोपाल या दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आज हमारे जिले में 6 विधायक और एक सांसद हैं वह भी कहीं ना कहीं किसान के बेटे हैं और यह जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तो उन्हें जिले के किसानों की मांग को वहां तक पहुंचाना चाहिए किसानों की आर्थिक स्थिति उतनी ठीक नहीं है कि वह दिल्ली तक जाए और आंदोलन करें, उन्होंने यह भी बताया कि कहीं ना कहीं आज नेता विधायक, सांसद बनने के बाद किसानों की समस्या को भूल जाते हैं शासन इन्हें बड़ी-बड़ी गाड़ियां और सारी सुख सुविधा देती है पर यह किसानों की समस्या को भूल जाते हैं क्योंकि इन्हें डर लगता है कि यदि कोई किसान का संगठन उभर गया तो उनकी गद्दी खतरे में आ जाएगी और इसी बात का डर उनके कुछ नेताओं का लगा रहा , जिस कारण आज बालाघाट की स्थिति ऐसी बन गई है

भाजपा के विधायक, सांसद नही आये किसान का दु:ख जानने

बैठक के दौरान श्री ठाकरे ने यह भी बताया कि जिस प्रकार से बीते दिनों से किसान अपने समर्थन मूल्य 3100 रूपये पाने के लिए रात दिन आंदोलन का रहा है और धान खरीदी केन्द्रों में जाकर धरना दे रहा है किंतु , आज तक भाजपा के विधायक और सांसद किसानों का दु:ख जानने के लिए नहीं पहुंचे हैं , जबकि कांग्रेस के भी चार-चार विधायक हैं चाहते तो वह भी बंद के दिन अपना समर्थन देने और किसानों का दु:ख दर्द जानने पहुंचते पर ऐसा कुछ जिले में दिखाई नहीं दे रहा है और अब उन्होंने एक सर्वदली किसान संगठन बनाया है जिसमें सभी पार्टी के सदस्य और किसान सम्मिलित है और वह जो भी सरकार समय पर रहेगी और किसानों को समर्थन मूल्य नहीं देगी तो उसका विरोध करेंगे

आज किसान काली पट्टी बांधकर बेचेगा धान

बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया है कि 13 दिसंबर से किसान अपने हाथों में काली पट्टी बांधकर धान खरीदी केन्द्रों में धान दे सकता है पर जो लड़ाई सरकार से चल रही है वह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है पर किसान और अधिक दिनों तक अपनी धान नहीं रख सकता, इसलिए सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि अब किसान काली पट्टी बांधकर ही धान बचेगा

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