समर्थन मूल्य में शासन के द्वारा चना, गेंहू, सरसों की खरीदी की जा रही है परन्तु लालबर्रा विकासखण्ड के अंतर्गत बनाये गये खरीदी केन्द्रों में किसान चना, गेंहू, सरसों की उपज विक्रय करने नही पहुंच रहे है जिसके कारण खरीदी प्रारंभ हुए डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी अधिकांश केन्द्रों में किसान अपनी उपज समर्थन मूल्य में विक्रय करने नही पहुंच रहे है। बल्कि बाजार में व्यापारियों को बेच रहे है क्योंकि समर्थन मूल्य से अधिक दाम में बाजार मेें व्यापारी के द्वारा खरीदी की जा रही है। इस तरह से अब किसानों का समर्थन मूल्य कम होने के कारण सरकार की समर्थन मूल्य के प्रति मोहभंग होने लगा है। नगर मुख्यालय के सिवनी मार्ग स्थित म.प्र. वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिरिटक्स कॉर्पोरेशन भंडारण केन्द्र में मिरेगांव सेवा सहकारी समिति के द्वारा विगत दिवस से समर्थन मूल्य में चना एवं गेंहू की खरीदी की जा रही है परन्तु अब तक ५ किसानों से महज १४ क्विंटल सरसो ५६५० रूपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की गई है। जबकि इस केन्द्र में सरसों, चना समर्थन मूल्य में खरीदी करना है परन्तु किसान चना की फसल बेचने के लिए नही पहुंच रहे है क्योंकि सरकार का समर्थन मूल्य ५४४० रूपये प्रति क्विंटल है और बाजार में व्यापारी के द्वारा उसे अधिक दाम में चने की खरीदी की जा रही है। इसलिए किसान शासन को विक्रय न करते हुए व्यापारियों को बेच रहे है। जिसके कारण समर्थन मूल्य में खरीदी प्रारंभ हुए डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी म.प्र. वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिरिटक्स कॉर्पोरेशन भंडारण केन्द्र लालबर्रा में ८ मई तक एक भी किसान से चना की खरीदी नही की गई है। सिर्फ सरसों की उपज किसान समर्थन मूल्य में विक्रय करने आ रहे है क्योंकि बाजार में कम दाम में सरसों की खरीदी की जा रही है। ऐसी स्थिति में क्षेत्रीय किसान समर्थन मूल्य में खरीदी के लिए बनाये गये केन्द्र पहुंचकर सरसों फसल को ५६५० रूपये प्रति क्विंटल की दर से विक्रय कर रहे है। वहीं मिरेगांव सेवा सहकारी समिति के द्वारा अब तक महज ५ किसानों से १४ क्विंटल सरसों की खरीदी की गई है और धीरे-धीरे अब किसान सरसों की फसल विक्रय करने खरीदी केन्द्र पहुंच रहे है जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष क्षेत्र में सरसों फसल की उत्पादन अधिक हुई होगी एवं समर्थन मूल्य में खरीदी करने की अंतिम तिथि ३१ मई है उसके बावजूद भी किसान अपनी उपज विक्रय करने नही पहुंच रहे है। वहीं किसानों ने सरकार से मांग की है कि चना, गेंहू, सरसों सहित अन्य दलहन फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाये ताकि क्षेत्रीय किसान अपनी उपज विक्रय कर समर्थन मूल्य का लाभ ले सके।