इंदौर University Promotion Indore। प्रदेशभर के विश्वविद्यालयों में नियमित कुलसचिव की भारी कमी है। मात्र एक ही विश्वविद्यालय में इन दिनों स्थायी कुलसचिव है। शेष विश्वविद्यालयों में उपकुलसचिव और प्रोफेसरों ने कुर्सी संभाल रखी है। पदोन्नति अटकी होने से विश्वविद्यालयों में यह स्थिति बनी है। वैसे अब कुलसचिव की कुर्सी को लेकर उप कुलसचिव और प्राध्यापक आमने-सामने आ गए हैं।महू स्थित डा. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय में कुलसचिव पद की जिम्मेदारी होलकर साइंस कालेज के प्रो. डा. डीके शर्मा को दे रखी थी। कुछ महीनों पहले उच्च शिक्षा विभाग ने प्रतिनियुक्त समाप्त कर दी। डा. शर्मा को होलकर साइंस कालेज भेज दिया गया, जबकि कुलसचिव का काम उप कुलसचिव अजय वर्मा ने संभाल लिया। इस बीच डा. शर्मा ने उच्च न्यायालय से स्थगन आदेश ले लिया। इन दिनों उप कुलसचिव वर्मा न्यायालय के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि पूरे प्रदेश में दो ही कुलसचिव हैं। उनमें से भी मात्र एलएस सोलंकी ही भोज विश्वविद्यालय में कुलसचिव के रूप में पदस्थ हैं। वहीं एक अन्य कुलसचिव विश्वविद्यालय के बजाय कलमाकर सिंह सतपुड़ा भवन में ओएसडी बने हैं।देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में 2015 से स्थायी कुलसचिव नहींनैक से ‘ए+’ ग्रेड प्राप्त प्रदेश के एकमात्र देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में भी पांच साल से कोई स्थायी कुलसचिव नहीं है। 2015 में आरडी मूसलगांवकर सेवानिवृत्त हो गए थे। उसके बाद तीन उप कुलसचिव यहां प्रभारी कुलसचिव बन चुके हैं, 2016-17 के बीच वीके सिंह और 2017-19 तक अजय वर्मा और 2019 से अब तक अनिल शर्मा ने कुर्सी संभाल रखी है।
25 फीसद तक देना है प्रतिनियुक्तिनियमानुसार सभी विश्वविद्यालय में महज 25 फीसद प्रोफेसर को ही प्रतिनियुक्ति पर कुलसचिव का प्रभार दे सकते हैं। शेष 75 फीसद पदों पर राज्य विवि सेवा से चयनित कुलसचिव और उपकुलसचिव को ही प्रभार सौंप सकते हैं, परंतु फिलहाल प्रदेश के छह विश्वविद्यालयों में कुलसचिव/उप कुलसचिव और आठ विवि में प्राध्यापकों को कुलसचिव बना रखा है।
नहीं हुए प्रमोशनप्रदेशभर में सालों से प्रमोशन अटके हुए है। आखिरी बार उज्जैन विवि में कार्यरत उपकुलसचि सुभाष आर्य को कुलसचिव बनाया था। इसके बाद एक भी कुलसचिव का प्रमोशन नहीं हुआ है। इन दिनों प्रमोशन को लेकर सुप्रीम न्यायालय में याचिका लगी है।