महामारी के बीच साल 2020 में दुनियाभर में लगे यात्रा प्रतिबंधों और लॉकडाउन के बावजूद पांच हजार से ज्यादा भारतीय रईस विदेशों में जा बसे हैं। ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इसके मुताबिक, 2019 में विदेश गए 5.80 लाख छात्र-छात्राओं में से 2.60 लाख 2020 में भारत लौट आए। यह रिपोर्ट वैश्विक संस्था हेन्ले एंड पार्टनर्स ने जारी की है।
इसके मुताबिक, विदेश में निवेश के साथ नागरिकता हासिल करने के मामलों में खासी बढ़त देखने मिली है। करीब 61% भारतीयों ने विदेशों में बसने या निवेश करने से जुड़ी पूछताछ की। अभी 2021 के पहले दो महीनों में ही 70 हजार से ज्यादा छात्र-छात्राएं पढ़ाई के लिए विदेश गए हैं। इनमें आंध्र प्रदेश से 14%, पंजाब से 13% और महाराष्ट्र से 11% छात्र-छात्राएं शामिल थे।
संस्था के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. जुएर्ग स्टीफन कहते हैं, ‘लोगों ने स्थायित्व, सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य को सबसे ऊपर रखते हुए विदेश का रुख किया है। इसीलिए निवेश के जरिए नागरिकता हासिल करने के मामलों में 25% की बढ़त देखने मिली है। जबकि महामारी से पहले निवास के साथ निवेश का विकल्प प्रचलित था। इनमें रईसों की संख्या सबसे ज्यादा रही क्योंकि वे खर्च करने में सक्षम थे।’