हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति 26 सितंबर को पृथ्वी के काफी नजदीक होगा है। 59 साल में यह पहली घटना होगी, जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी के इतने करीब होगा। अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया कि यह विशाल ग्रह सूर्य के ठीक विपरीत दिशा में दिखेगा। बृहस्पति के दिशा बदलने की घटना को वैज्ञानिक भाषा में अपोजिशन कहा जाता है। बृहस्पति ग्रह के लिए अपोजिशन आम बात है, यह हर 13 महीने में एक बार होता है। इसके बाद हर साल पृथ्वी और बृहस्पति काफी नजदीक आते हैं, लेकिन इस बार इन दोनों ग्रहों के बीच में दूरी काफी कम होगी। इसके बाद पृथ्वी से बृहस्पति ग्रह सामान्य की अपेक्षा काफी बड़े आकार का दिखाई देगा।
25 और 26 सितंबर को सूर्य और बृहस्पति के बीच पृथ्वी को देखना काफी दुर्लभ घटना होगी। इस पेरिगी के रूप में जाना जाता है। 25 सितंबर को पृथ्वी और बृहस्पति ग्रह की दूरी सबसे कम होगी, जबकि 26 को सूर्य के उल्टी दिशा में दिखाई देगा। पृथ्वी के काफी करीब आने से गैस से बना यह विशाल ग्रह असामान्य रूप से काफी चमकीला और बड़ा दिखाई देगा। इसके बाद यह घटना स्काईवॉचर्स के लिए एक बड़ी घटना साबित हो सकती है। मौसम के साफ रहने और अंधकार ज्यादा होने पर लोग दूरबीन की मदद से बृहस्पति को काफी नजदीक से देख पाएंगे।
नासा के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के खगोल वैज्ञानिक ने कहा कि 26 सितंबर से पहले और बाद के कुछ दिनों में भी बृहस्पति काफी चमकीला और बड़ा दिखाई देगा। इसतरह 25 और 26 सितंबर को अच्छे मौसम में इस ग्रह को काफी नजदीक से देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों को इन तारीखों का लाभ उठाकर साफ मौसम में नजारे का आनंद लेना चाहिए। यह रात में सबसे चमकदार सितारों में से एक होगा।
सौर मंडल के ग्रह सूर्य की परिक्रमा गोलाकार न करके अंडाकार पथ पर करते हैं। इसलिए पृथ्वी और बृहस्पति अलग-अलग दूरी पर पथ को पार करते हैं। पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 365 दिन लगते हैं, जबकि बृहस्पति को सूर्य की परिक्रमा करने में 4333 दिन लगते हैं। इसका मतलब हुआ कि बृहस्पति 12 साल में एक बार सूर्य की परिक्रमा को पूर्ण करता है। सबसे अधिक नजदीक होने पर पृथ्वी और बृहस्पति में दूरी 590 मिलियन किलोमीटर होगी। वहीं, सबसे अधिक दूर जाने पर पृथ्वी और बृहस्पति में दूरी 960 मिलियन किमी होती है।