ICICI बैंक की पूर्व CEO चंदा कोचर को 300 करोड़ रुपये के वीडियोकॉन लोन के बदले 64 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के मामले में दोषी पाया गया है। ट्रिब्यूनल ने पुष्टि की है कि रिश्वत उनके पति की कंपनी के माध्यम से दी गई थी, जो धन शोधन निवारण अधिनियम और बैंक की आंतरिक नीतियों का उल्लंघन है।
पति की कंपनी के जरिए हुआ घूस का लेनदेन, सबूतों से हुई पुष्टि
ट्रिब्यूनल ने पाया कि ICICI बैंक द्वारा वीडियोकॉन को 300 करोड़ रुपये का लोन देने के ठीक एक दिन बाद वीडियोकॉन की एक सब्सिडियरी कंपनी से 64 करोड़ रुपये दीपक कोचर की कंपनी NuPower Renewables को ट्रांसफर किए गए। दस्तावेजी सबूतों और PMLA की धारा 50 के तहत दर्ज बयानों से रिश्वत का लेनदेन स्पष्ट हुआ है।
हितों का टकराव और पद के दुरुपयोग का मामला- ट्रिब्यूनल
ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में चंदा कोचर द्वारा अपने पति के कारोबारी संबंधों की जानकारी छिपाने को “हितों के टकराव” का गंभीर उल्लंघन बताया। वह खुद उस समिति का हिस्सा थीं जिसने वीडियोकॉन को लोन मंजूर किया था, जबकि उनके पारिवारिक हित स्पष्ट रूप से जुड़े हुए थे। यह कृत्य “पद के दुरुपयोग और निजी लाभ” की श्रेणी में आता है।










































