लालबर्रा (पद्मेश न्यूज)। नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में २४ अगस्त को मारबत (नारबोद) का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्रों में घेऊन जा री नारबोद….खासी खोखला ले जा नारबोद के साथ युवाओं ने गांव की सरहदी सीमा के बाहर नारबोद (पूतना राक्षसी) के पुतले का दहन कर मानव जीवन के लिए सुख शांति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की गई। वहीं किसानों के द्वारा अपनी फसलों को कीट-बीमारी आदि से बचाने के लिए गड़ाड़ी नामक पौधे की टहनियां फसलों में गड़ाकर अच्छी फसल होने की कामना की गई। साथ ही छोटे-छोटे बच्चों के द्वारा भी घर-घर पहुंचकर घेऊन जा रही नारबोद के नारे लगाते हुए गड़ाड़ी की टहनियां घरों में लगाकर उपहार के रूप में (बोजारा) रूपये मांगे। जिसके बदले में ग्रामीणों ने उन्हे रूपये देकर नारबोद पूर्व की शुभकामनाएं दिये। इसी तरह ग्राम पंचायत बबरिया के बबरियाटोला, घोटी में मंगलवार की सुबह ग्रामीणजन एवं ग्राम के युवा ढोल-नगाड़े के साथ नारबोद के पुतले की शोभायात्रा निकालकर वैनगंगा नदी घाट में अपने-अपने घरों में बनाई बेड़ी को लेकर एकत्र हुए जहां मारबत (नारबोद) पूतना राक्षसी के पुतले का दहन किया गया। आपकों बता दे कि होली, दशहरा और पोला, पर्व किसान भाईयों का आकर्षित पर्व है चूंकि यह त्यौहार खेती-किसानी से जुड़ा हुआ पर्व है। जिसमें किसान को कृषि क्षेत्र में कृषि करने के लिएबैलों की आवश्यकता होती है इसलिए पोला किसानों का मुख्य त्यौहार माना जाता है एवं पोला पर्व के दूसरे दिन नारबोद मनाई गई। इस अवसर पर लोग गांव की सीमा सरहद के बाहर निकालकर नारबोद को जलाकर मानव जीवन के लिए सुख शांति प्रदान करने हेतु ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पोला पर्व के दूसरे दिन नारबोद पर्व मनाई गई और इस दिन गांव की सीमा के बार नारबोद के पुतले को ले जाकर उसे जलाया गया। साथ ही यह भी बताया कि ऐसी मान्यता है कि गेड़ी को गांव से बाहर ले जाते समय लोग अपनी समस्याओं और बुराइयों के साथ बीमारियों को भी गांव की सीमा से बाहर जलाते हैं।










































