कृषि के क्षेत्र में तर्जुबे के कारण किसान को ही सबसे अच्छा वैज्ञानिक माना जाता है। यह बात देपालपुर तहसील के चित्तौड़ा गांव के 40 वर्षीय किसान सत्यनारायण दयाल ने साकार कर दिखाई है। जब सभी की जमीने बंजर थीं तब किसान ने अनूठा प्रयोग कर खुद की एक हैक्टेयर के खेत में सोयाबीन की फसल की बोवनी की। इंदौर में वे अकेले किसान हैं, जिन्होंने इस तरह से सोयाबीन की फसल बोई है। जब तक सोयाबीन की बोवनी का समय आएगा तब तक सत्यनारायण अपनी फसल काट चुके होंगे, वो भी अधिक पैदावार के साथ।
सत्यनारायण का कहना है कि सभी किसान दो साल से सोयाबीन में बहुत नुकसान उठाते आ रहे हैं। एक हैक्टेयर में केवल 8 क्विंटल सोयाबीन से भी कम पैदावार हो रही थी, जिसमें फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है । क्वालिटी अच्छी नहीं होने के कारण बाजार में दाम भी कम मिलते हैं। इस बार उन्होंने गर्मी में सोयाबीन बोने का सोचा और नए तरीके से फसल बोई। साथ में फसल को ठंडी रखने के लिए स्प्रिंकलर का उपयोग किया। 80 दिन की फसल में आठ बार पानी दिया, लेकिन उतना पानी नहीं लगा, जितना की पारंपरिक विधि से पानी देने में लगता है। जब उनकी फसल लहलहाई तो आसपास के कई गांव वालों को जानकारी लगी और वे भी किसान की फसल को देखने आ रहे हैं।
वैज्ञानिक सलाह भी नहीं ली
सत्यनारायण ने बताया कि गर्मी में सोयाबीन की बोवनी करने के लिए किसी वैज्ञानिक की सलाह नहीं ली। खुद के तजुर्बे से सीखा और बोवनी की। बताया कि खरीफ के सीजन में कभी बारिश कम तो कभी ज्यादा होने के कारण हर बार किसानों को नुकसान होता है। इसे देखते हुए तरीका निकाला कि फसल को बारिश की तरह ही वातावरण दिया जाए। इसलिए पूरे खेत में स्प्रिंकलर लगाए। इससे पानी की बचत भी हुई और सोयाबीन के पौधों को ठंडक भी मिलती रही। जब लगता पौधे को पानी की जरूरत है तो फिर से पानी दे देते। 15 अप्रैल को फसल की बोवनी की थी। जून महीने के आखिरी सप्ताह के पहले फसल काट ली जाएगी।
कीट और खरपतवार भी कम
सत्यनारायण ने बताया कि जब फसल की बोवनी की थी तब उम्मीद नहीं थी कि फसल अच्छी होगी। फसल वर्तमान में अच्छी स्थिति में है और 10 प्रतिशत अधिक पैदावार के साथ बढ़ रही है। गर्मी के दिनों में सोयाबीन की फसल लगाने का एक और फायदा यह हुआ कि कीटनाशक दवाइयों और खरपतवार नाशक में कम खर्च हुआ। बारिश में फंगस और वायरस का खतरा रहता है। पहले भी वायरस के कारण कई किसानों की फसलें खराब हो चुकी हैं। इस बार ऐसा नहीं हुआ। बारिश के कारण फंगस से भी फसलें खराब होती हैं, लेकिन जितने पानी की जरूरत रही, उतना पानी फसल को मिला।
फलियों की क्वालिटी भी बेहतर
सत्यनारायण की सोयाबीन की फसल में फलियां भी अच्छी लगी हैं और उनकी क्वालिटी भी बेहतर है। क्वालिटी अच्छी होने के कारण बाजार में इसका भाव भी अच्छा मिल सकेगा। इससे किसान को ही फायदा होगा।
एक नजर में…
– एक हैक्टेयर में बोई सोयाबीन
-15 अप्रैल को बोई थी सोयाबीन
– 80 दिन में हो जाएगी तैयार
– 20 जून के बाद कट जाएगी फसल
– 22 क्विंटल से अधिक होगी पैदावार
– 8 बार दिया स्प्रिंकलर पद्धति से पानी
– 8 क्विंटल ही मिली दो साल में पैदावार
उम्मीद से ज्यादा मिलने की संभावना
बहुत कम किसान होते हैं जो पारंपरिक खेती को छोड़ कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। सत्यनारायण ने अपने तरीके से खेती की और इसके परिणाम भी बेहतर आए। गर्मी में बहुत कम किसान सोयाबीन लगाते हैं, इसलिए वायरस का खतरा नहीं होता। साथ ही बारिश अधिक या कम होने के कारण फंगस या सूखने जोखिम भी कम रहता है। साथ ही गर्मी में किसान की उम्मीद से ज्यादा पैदावार होने की संभावना है।