यह इंदौर का लालबाग है… यहां खामोशी भी बताती है धरोहर की दुर्दशा, पर अफसरों को नहीं पड़ता फर्क

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यह लालबाग पैलेस है। होलकर राजवंश के राजाओं का निवास स्थल। करीब 135 साल पुरानी धरोहर। कभी होलकर राजाओं और महारानियों से यह महल दमकता था, लेकिन अब यहां खामोशी का राज है। राजे-रजवाड़ों के वैभव का नायाब नमूना… अब शासन की लापरवाही का नमूना है। ऐसा नमूना जिसमें 34 साल से सरकार की उदासीनता का डेरा है। राज्य शासन के पुरातत्व विभाग की संपत्ति हो चुके इस पैलेस और बाग को संवारने की तो कई घोषणाएं और दावे किए गए, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं आया।

दरअसल, 1987 में राज्य शासन के पुरातत्व विभाग ने होलकरों के उषाराजे ट्रस्ट से इसे 65 लाख में खरीदा था। इसके बाद 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने लालबाग को आम जनता के लिए लोकार्पित कर दिया। पर जनता की इस धरोहर को सजाने-संवारने की सारी योजनाएं धरी रह गईं। इतने सालों में केवल एक बार इसकी पुताई हुई है, लेकिन अंदर और बाहर कोई काम नहीं हुआ।

पुरातत्व विभाग और स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत यहां जीर्णोद्धार की योजना पर काम तो शुरू किया है, लेकिन डेढ़ साल बाद भी कुछ खास नहीं हो पाया। अब अधिकारी कोरोना को देरी का कारण बता रहे हैं। यहां तक कि लालबाग पैलेस की टपकती छत भी पुरातत्व विभाग दुरुस्त नहीं कर पाया। केशरबाग रोड पर कई जगह से बाउंड्रीवाल टूट चुकी है। इसे भी नहीं बनाया गया। अब सभी तरफ से लालबाग लावारिस की तरह नजर आता है। पर प्रशासन से लेकर विभाग के अधिकारियों तक इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। फिलहाल यहां खुदी हुई सड़क और उखड़े हुए पैवर्स ब्लॉक इसकी चुगली कर रहे हैं।

छह साल से केवल योजनाएं और दावे

– लालबाग परिसर करीब 72 एकड़ में फैला है। इसमें से 4 एकड़ जमीन पर पैलेस बनाया गया है। करीब छह साल पहले तत्कालीन मुख्य सचिव एंटोनी डिसा और पुरातत्व विभाग के अधिकारियाें ने लालबाग का दौरा कर जीर्णोद्धार की योजना बनाई थी।

– सोच-विचार के बीच योजना ठंडे बस्ते में चली गई। दो-तीन साल बाद फिर इस योजना की धूल झाड़कर इस पर काम करने का मन बनाया। उस समय स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत नगर निगम ने भी परिसर के बाहरी सौंदर्यीकरण का जिम्मा लिया।

– स्मार्ट सिटी का काम शुरू होते-होते ही इसमें कंजूसी हावी हो गई। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने जीर्णोद्धार के लिए करीब 15 करोड़ रुपये का प्रविधान किया था, लेकिन काम शुरू होते-होते इसे करीब डेढ़ करोड़ रुपये कर दिया।

– लालबाग की जमीन करीब 72 एकड़ है। करीब सात साल पहले आईडीए अध्यक्ष रहते हुए सांसद शंकर लालवानी ने यहां उद्यान निर्माण की घोषणा की थी, लेकिन यह भी पूरी नहीं हो पाई।

पुरातत्व आयुक्त ने कहा- सीएसआर से भी चल रहा है काम, अंतरराष्ट्रीय स्तर की धरोहर बनाएंगे

लालबाग पैलेस के जीर्णोद्धार को लेकर पुरातत्व विभाग के आयुक्त शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि लालबाग पैलेस को अंतरराष्ट्रीय स्तर की धरोहर बनाया जाएगा। पैलेस के अंदर विभाग के अलावा विश्व धरोहर निधि डब्ल्यूएमएफ भी काम कर रहा है। कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के तहत इंडिगो एयरलाइंस ने डब्ल्यूएमएफ को करीब सवा 4 करोड़ रुपये दिए हैं।

पुरानी कलाकृतियों और उस कालखंड के निर्माण को सहेजकर रखना है, इसलिए बहुत बारीकी से और उत्कृष्ट कार्य हो रहा है। इसमें समय लगता ही है। कोरोनाकाल के कारण काम प्रभावित होना स्वाभाविक है, पर कई श्रमिकों ने इस दौरान भी अंदर रहकर काम किया। लालबाग के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई है। अगले चरण में रामपुर कोठी और चंपा बावड़ी का संरक्षण भी किया जाएगा।

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