हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोपी और भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को लंदन के हाईकोर्ट ने फिर से राहत दे दी है। हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने मानसिक स्वास्थ्य और मानवाधिकार के आधार पर नीरव को भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की अनुमति दे दी है। इससे पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट (Megistrate Court) ने अपने फैसले में नीरव को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसी फैसले के बाद उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
प्रत्यर्पण से बचने के लिए नीरव ने इस बार अपने मानसिक स्वास्थ्य का बहाना बनाया है। नीरव के वकीलों का कहना है कि ‘उसे गंभीर डिप्रेशन है’ और वह ‘आत्महत्या करने के जोखिम’ से जूझ रहा है। न्यायाधीश को बताया गया कि नीरव को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के बाद उसे मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा जाएगा ऐसे में जेल में आत्महत्या को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय हैं या नहीं, पहले इस पर बहस होनी चाहिए। जिसके बाद जस्टिस चेम्बरलेन ने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील करने की अनुमति दे दी।
न्यायाधीश ने कहा, ‘इस स्थिति में मेरे लिए सवाल बस इतना है कि क्या इन सभी आधार पर याचिकाकर्ता का मामला बहस योग्य है। मेरा फैसला है, हां. मैं ग्राउंड 3 और 4 के आधार पर बहस करने की इजाजत देता हूं।’ ग्राउंड 3 और 4 जीवन, स्वतंत्रता और सुरक्षा के अधिकार से संबंधित हैं। अपील करने के लिए जो अन्य कारण बताए गए थे, कोर्ट ने उन सभी को खारिज कर दिया है। अब इस मामले में लंदन का हाईकोर्ट ग्राइंउ 3 और 4 के आधार पर आगे की सुनवाई करेगा।
क्या है मामला?
नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) पर पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों के साथ मिलकर 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला करने का आरोप है। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने उसके खिलाफ बैंक घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दो मामले दर्ज किए हैं। 2018 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नीरव मोदी के खिलाफ इंटरपोल ने रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया था। नीरव मोदी को 20 मार्च, 2019 में लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद से ही वो यूके की जेल में बंद है और जमानत की कोशिश कर रहा है।