(उमेश बागरेचा)
पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी की बालाघाट में पदस्थापना को लगभग 3 वर्ष हो गए है। उनके कार्यकाल में जिले की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त ही नजर आ रही है। जिले में बलात्कार, डकैती, हत्या, चोरी, जुआ, सट्टा, उठाईगिरी, मारकाट आदि में कहीं कोई कंट्रोल नहीं रहा है। इसी का परिणाम है गत 20 सितंबर 2021 को घटित वारदात जिसमे आरोप है कि नगर पुलिस अधीक्षक कर्णिक श्रीवास्तव ने भाजपा के प्रवक्ता एवं व्यवसायी अभय कोचर को मारने शहर के असामाजिक तत्वों को भिजवाया। शायद पूरे मध्य प्रदेश की यह एक ऐसी पहली घटना होगी जिसमे पुलिस का एक जिम्मेदार एवम बड़े पद पर आसीन अधिकारी किसी व्यक्ति को मारने के लिए अपराधी तत्वों को सुपारी दे देता है। जब जिले में कुछ अच्छा होने (भले ही अंदर खाने वह सब फर्जी हो) का तमगा जिले के आदरणीय को मिल जाता है तो उनके हाथ के नीचे के अधिकारी की करतूत का काला अध्याय भी उनके नाम जुडऩा चाहिए, इस घटना से जुड़े तथ्यों को छुपाया जा रहा है। जन चर्चा है कि सीएसपी के संरक्षण में अनेक स्थानों पर जुंए के फड़ चल रहे है, जिसमे दलाली का काम उनके ही कार्यालय में पदस्थ प्रधान आरक्षक सुधीर श्रीवास करता था, इसलिए इस हमले के लिए श्रीवास ने जुंए खाने से इन अपराधिक तत्वों को सुपारी देकर मारने भेजा।
गणेश विसर्जन के दौरान सीएसपी कर्णिक श्रीवास्तव से अभय कोचर की मामूली कहासुनी हो गई थी, तो क्या यह इतनी बड़ी बात हो जाती है कि, जिस पुलिस पर आम लोगों की सुरक्षा का भार है, वह उन्हें ही पीटने के लिए गुंडों का उपयोग करे, यह बात किसी के गले नहीं उतर पा रही है। सीएसपी को यदि कार्यवाही ही करनी थी तो शासकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण दर्ज कर सकते थे। इस घटना के पीछे का रहस्य उजागर होना चाहिए। चर्चा है कि यदि घटना की सही से जाँच होगी तो सीएसपी के साथ-साथ कतिपय सफेद पोशों के अवैध कारनामे भी उजागर होंगे।
खैर अब आगे की बात कर लेते है श्री कोचर को मारने आए आरोपियों में से दो को पकडक़र थाना प्रभारी के हवाले कर दिया जाता है जिन्हे पुलिस के ही वाहन में बिठाकर थाने ले जाया जाता है, और थाने पहुंचने पर ज्ञात होता है कि एक आरोपी ही बदल दिया गया तथा टी शर्ट भी बदल गई। चर्चा है कि आरोपी को इसलिए बदला गया क्योंकि वह पुलिसकर्मी था, बदले में जुंआ खाने से दूसरे को लाकर बिठा दिया गया। घटना में लिप्त प्रधान आरक्षक श्रीवास ने बताया कि सीएसपी के साथ श्री कोचर का विवाद के कारण घटना को अंजाम दिया गया। पूछताछ के दौरान थाने में सीएसपी भी उपस्थित थे जिनके पसीने छूट रहे थे तथा वहां से वे निकलना भी चाह रहे थे किंतु आदरणीय ने उन्हें जाने नहीं दिया। आदरणीय को भी समझ में आ गया था कि सारा किया धरा सीएसपी का ही है, इसलिए वे भी शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे। लेकिन मामला आगे बढ़ेगा तो पुलिस की तो बदनामी होगी ही बल्कि अभी तक जो तमगे मिलते रहे हैं और भविष्य में मिलने की जुगत कर रहे आदरणीय की राह में कांटे बिछ जाते, इसलिए अब आदरणीय ने अपने संपर्कों को साधने में जोर लगा दिया, जो स्पष्ट दिखाई भी दिया।
प्रताडि़त अभय कोचर भाजपा के प्रवक्ता है साथ ही साथ वे संघ से भी जुड़े हुए है, प्रदेश में सत्ता भी भाजपा की, दो-दो लालबत्ती भी बालाघाट में इतना सब होने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का अभय कोचर के साथ खड़ा ना होना, मीडिया के प्रश्नों पर भाजपा अध्यक्ष तथा मंत्री का मौन साध लेना, बालाघाट चैंबर अध्यक्ष जो भाजपा के वरिष्ठ नेता है द्वारा कोचर के समर्थन में आहुत व्यापारियों की रैली का बहिष्कार करना और तो और एक समय के बाद स्वयं अभय कोचर द्वारा घोषित प्रेस वार्ता के समय में बार-बार परिवर्तन करना और अंतत: वार्ता ना करना और शांत हो जाना दर्शाता है कि उपर से ही भाजपाईयों को शांत रहने के आदेश हो गए थे, जिसके चलते इस बात को बल मिल जाता है की हमारे आदरणीय ने अपने तमगे तक इस घटना की आंच ना आने देने के लिए कोई सटीक निशाना ही साधा होगा। नतीजा ये निकला कि इस हमले की आंच जो सीएसपी के गिरेबान तक पहुंचनी थी वो मात्र एक अदने से पुलिस कर्मी और 4 गुंडों पर जाकर लटक गई।
जनचर्चा में जो बाते सामने आ रही है उसके अनुसार सीएसपी कर्णिक श्रीवास्तव को आदरणीय का पूरा-पूरा संरक्षण था तभी तो उन्हे दतिया जिले के लिए ट्रांसफर हो जाने के बावजूद भी महीनो से बालाघाट में रोके रखा गया। बताते हैं कि शहर के असामाजिक तत्वों से सीएसपी के बेहतर रिश्ते थे, उनके संरक्षण में सट्टा जुआ के कई अड्डे चल रहे थे। पकड़ाए गए आरोपी इन्ही अड्डों के खिलाड़ी हैं।
इस घटना से जिलेवासियों को चिंतित जरूर होना चाहिये वह इसलिये कि घटना सत्ताधारी भाजपा के एक पदाधिकारी के साथ घटित हुई है और पुलिस कर्मियों द्वारा कारित की गई है बावजूद इसके ‘‘भाजपा’’ मौन है तो कल एक आम आदमी के साथ कोई इस तरह की घटना घटित होगी तब क्या होगा? इस विषय पर शोध के लिये मै पाठकों को सक्षम मानता हूँ।