अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने शादी का झांसा देकर शोषण करने के आरोपित की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान आपत्तिकर्ता पीड़ित महिला की ओर से अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत आवेदन का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि आरोपित ने पीड़ित महिला के पति से चल रहे विवाद का फायदा उठाया। उसने झांसा दिया कि वह पति से तलाक की अर्जी दायर कर दे। वह उससे शादी करेगा। इसी आश्वासन की आड़ में महिला का शोषण शुरू कर दिया गया। तीन साल गुजरने के बावजूद शादी न किए जाने पर छली गई महिला ने थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज करा दी। आरोपित एक निजी कंपनी में प्रबंधक के पद पर कार्यरत है। पीड़ित महिला का आरोप है कि आरोपित ने उसका गर्भपात भी कराया। ऐसा करने से मना करने पर उसने तर्क दिया था कि हमारी शादी से पहले बच्चा होना ठीक नहीं होगा। जब शादी हो जाएगी तो बच्चा जायज होगा। बहस के दौरान कोर्ट में जानकारी दी गई कि आरोपित अन्य महिलाओं के साथ भी ऐसा ही छलावा कर चुका है। कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
Publish Date: | Sat, 23 Jan 2021 12:30 PM (IST)

जबलपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत ने शादी का झांसा देकर शोषण करने के आरोपित की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। सुनवाई के दौरान आपत्तिकर्ता पीड़ित महिला की ओर से अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत आवेदन का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि आरोपित ने पीड़ित महिला के पति से चल रहे विवाद का फायदा उठाया। उसने झांसा दिया कि वह पति से तलाक की अर्जी दायर कर दे। वह उससे शादी करेगा। इसी आश्वासन की आड़ में महिला का शोषण शुरू कर दिया गया। तीन साल गुजरने के बावजूद शादी न किए जाने पर छली गई महिला ने थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज करा दी। आरोपित एक निजी कंपनी में प्रबंधक के पद पर कार्यरत है। पीड़ित महिला का आरोप है कि आरोपित ने उसका गर्भपात भी कराया। ऐसा करने से मना करने पर उसने तर्क दिया था कि हमारी शादी से पहले बच्चा होना ठीक नहीं होगा। जब शादी हो जाएगी तो बच्चा जायज होगा। बहस के दौरान कोर्ट में जानकारी दी गई कि आरोपित अन्य महिलाओं के साथ भी ऐसा ही छलावा कर चुका है। कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।
हाई कोर्ट ने जर्जर भवन गिराने की अनुमति दी : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दो मंजिला जर्जर भवन गिराने की अनुमति दे दी है। राज्य शासन व पुलिस को इस संबंध में याचिकाकर्ता का सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं। न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता ने अपना पक्ष स्वयं रखा। उन्होंने दलील दी कि उन्होंने यह इमारत क्रय की थी। 50 साल पुरानी यह इमारत वर्तमान में बुरी तरह जर्जर है। यदि इसे अविलंब गिराया नहीं गया तो किसी भी दिन बड़ी दुर्घटना से इन्कार नहीं किया जा सकता। नगर निगम से इस बारे में शिकायत की गई थी। जिसके बाद नोटिस जारी किए गए। लेकिन जर्जर इमारत गिराने की दिशा में ठोस कार्रवाई नदारद रही। इसलिए हाई कोर्ट आना पड़ा। यदि यह जर्जर भवन जनधन हानि की वजह बना तो याचिकाकर्ता को परेशानी होगी। ऐसे में वह परेशानी से बचने इमारत को गिरवाने तैयार है।










































