वर्षो से इतवारी बाजार के ठेके से नगरपालिका को हर साल लाखों रुपए की कमाई होती है। लेकिन सुविधा के नाम पर नगर पालिका ने अब तक कई वर्षों से सब्जी दुकान लगा रहे विक्रेताओं को एक चबूतरा तक नहीं उपलब्ध करवा पाया है। वर्षों से इन चबूतरो पर दबंगों का कब्जा है। जिन्होंने उससे गोदाम और दुकान में तब्दील कर लाखों रुपए किराए के रूप में वसूल कर रहे हैं। बड़ी बात यह है कि नगरपालिका ने अपनी आंख पर पट्टी लगा ली है इसीलिए तो अधिकारी बड़ी सफाई से कहते हैं कि उन्हें इस विषय पर जानकारी नहीं ह चलिए इतवारी बाजार के इतिहास के बारे में थोड़ी सी जानकारी दे देते हैं। दरअसल वर्ष 1989 में शहर की गुजरी बाजार में आग लग गई थी यहां के विस्थापितों को बाजार उपलब्ध कराए जाने के लिए वर्ष 1989 में वर्षों से संचालित इतवारी बाजार में 144 चबूतरे बनाकर सब्जी और फल दुकान के लिए जगह दी गई थी। जिन्हें सब्जी विक्रेताओं के नाम पर आवंटित किया गया। लेकिन इस स्थान पर उस जमाने से ही दबंगो की नजर लगी हुई थी। नतीजा एक- एक व्यक्ति ने दर्जनभर से अधिक चबूतरे खरीद लिए और इस स्थान को दुकान और गोदाम में तब्दील कर दिया।