भोपाल, हबीबगंज जैसे प्रमुख स्टेशनों के आसपास ट्रेनों को चेनपुलिंग (जंजीर खींचकर) कर 9090 बार जबरन रोका गया। ऐसा बीते पांच साल में किया गया। यह करतूत स्टेशनों के पहले ट्रेनों से कूदकर भागने वाले बिना टिकट यात्रियों, खाने की अवैध सप्लाई करने वाले वेंडरों, असामाजिक तत्वों ने की है। ऐसे लोगों को बदले में 53 लाख 51 हजार 435 रुपये का जुर्माना चुकाना पड़ा है। ट्रेनों को जबरन रोकने का सबसे ज्यादा नुकसान उन लाखों यात्रियों को हुआ, जो इन ट्रेनों में सफर कर रहे थे। ऐसे यात्री अपने अंतिम स्टेशन पर देरी से पहुंचे, कई बार दूसरी ट्रेनें भी प्रभावित हुईं। इन घटनाओं में बीते दो सालों में रेलवे प्रोटेक्षन फोर्स (आरपीएफ) भोपाल के प्रयासों से कमी आई है। आरपीएफ ने इसके लिए ट्रेनों और स्टेशनों पर जन जागरूकता अभियान चलाया। जिसमें यात्रियों को चेनपुलिंग के नुकसान बताए।
चेनपुलिंग करने पर ट्रेनों को एक बार रुकने और दोबारा चलने में न्यूनतम पांच से लेकर अधिकतम 15 मिनट तक लगता है। इसमें प्लेटफार्मों पर ट्रेनों के ठहराव का समय शामिल नहीं है, जो ट्रेनें प्लेटफार्मों पर ठहरते हैं अधिक समय लगता है। मतलब एक बार चेन पुलिंग करना उस ट्रेन का औसतन 10 मिनट बर्बाद करना होता है। तब तक उस ट्रेन में बैठे 1000 से 1200 यात्रियों को इंतजार करना पड़ता है। उनका समय बर्बाद होता है।
आपात स्थिति में खींचे जंजीर
वैसे तो ट्रेनों को ड्राइवर ही रोक सकते हैं। इसके लिए उन्हें संकेतों का पालन करना होता है। भारतीय रेलवे ने आम यात्रियों को भी ट्रेन रोकने का विकल्प दिया है। प्रत्येक कोच में जंजीर है जिसे यात्री आपात स्थिति में खींच सकते हैं। ऐसा करने से ट्रेनें रूक जाती हैं लेकिन जंजीर खींचने वाले यात्री को उसकी मजबूत वजह बतानी होती है। तब उसे किसी प्रकार का दंड नहीं मिलता। इस विकल्प का कुछ बदमाष गलत उपयोग कर लेते हैं और जबरन ट्रेनों को जंजीर खींचकर रोक लेते हैं।
साल- चेनपुलिंग की घटना- चेन पुलिंग करने वाले- जुर्माना राशि- जेल गए
2016–2368–2367–1162215–01
2017–2265–2265–1072576–0
2018–2459–2452–1508361–07
2019–1398–1368–1122588–30
2020–600–592–485695–08
कुल–9,090–9,044–5,351,435–46
नोटः आंकड़े भोपाल रेल मंडल कार्यालय के रेलवे प्रोटेक्षन फोर्स कार्यालय से प्राप्त
वर्जन
हमारे जवान यात्रियों को लगातार समझाइष दे रहे हैं। किन परिस्थितियों में जंझीर खींच सकते हैं यह भी बता रहे हैं जो नहीं मानते, उन पर सख्त कार्रवाई भी करते हैं। इसी का नतीजा है कि 2019 से लेकर अब तक ऐसी घटनाओं में कमी आइ है।
– बी रामकृष्णा, वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त, आरपीएफ भोपाल