Gwalior Kala Sanskriti News: जेब खाली पर जिंदादिली से लबरेज विनायक, हाथ के हुनर ने बनाया निर्णायक

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Gwalior Kala Sanskriti News: वरुण शर्मा, ग्वालियर नईदुनिया। 70 साल के विनायक मिश्रा, फटे-मैले से कपड़े और फुटपाथ पर गुजर-बसर की मजबूरी। जिंदगी और जेब दोनों खाली पर जिंदादिली में बड़े अमीर हैं। साधारण से दिखने वाले विनायक ने पहले इकलौते बेटे फिर पत्नी को खोया। अब बची नौकरी तो वह भी लाकडाउन में चली गई। अब उनके पास कुछ रह गया तो वह है हाथों में चित्रकारी का हुनर। विनायक पेंटिंग बनाने लगे तो फुटपाथ से गुजरने वाली संस्थाओं-प्रबुद्धजनों को विनायक भा गए। उन्हें अपने कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि का दर्जा दिया, सम्मान किया। अब विनायक के जीने की वजह उनका हुनर है।

जमा पूंजी से कर दी भांजी की शादीः ग्वालियर के माधौगंज में रहने वाले विनायक पिछले 40 साल से बाहर ही नौकरी कर रहे थे। यहां कोई रिश्तेदारी नहीं थी तो बेटे-पत्नी के साथ देश के अलग-अलग शहरों में नौकरी कर जिंदगी गुजारते रहे। एम कॉम पास उनका बेटा सन् 2001 में हादसे में नहीं रहा। बेटे के गम में दो साल बाद पत्नी भी चल बसी। इससे पहले विनायक स्वजन से अपनी भांजी का विवाह करने का वचन दे चुके थे। पत्नी-बेटे के जाने के बाद विनायक अपने वचन से डिगे नहीं। उन्होंने अपनी जमा पूंजी 23 लाख रुपये भांजी की शादी में लगा दिए। पत्नी-बेट के जाने के बाद सेविंग करने की चाहत भी खत्म सी हो गई। मनमाड़ में एक कंपनी में लेखपाल का काम करने के दौरान मई 2020 में कंपनी बंद हो गई और विनायक बेरोजगार हो गए। वहां से सीधे ग्वालियर आए और तब से फुटपाथ पर अपना जीवन गुजार रहे हैं।

खुद्दार और चित्रकार से अतिथि तकः ग्वालियर में यहां ऊंट पुल के नीचे फुटपाथ पर मई 2020 से रह रहे विनायक खुद्दार किस्म के हैं। बुजुर्ग हैं, लेकिन किसी के आगे हाथ नहीं फैलाते। यहां आने के बाद जिन-जिन से पहचान हुई, वे खुद मना करने के बाद भी मदद करने जाते हैं, उससे गुजारा चल जाता है। चित्रकारी का हुनर था तो पेंटिंग बनाते रहते थे। फिर एक प्रयास संस्था के साथ दूसरी संस्थाओं ने विनायक का यह हुनर देखा तो अलग-अलग कार्यक्रमों में उन्हें बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया। यहां से विनायक का हौंसला और बढ़ा। उन्हें बुजुर्ग आश्रम भी रखा गया, लेकिन उनका कहना है कि कहीं काम करके जीवन गुजारूंगा।

सिंगापुर में भी कर आए नौकरीः विनायक सिंगापुर में भी सड़क बनाने वाली कंपनी में 45 दिन नौकरी कर आए हैं। यहां उनका वेतन 50 हजार रुपये महीना था। बेंगलुरु, मुंबई, जलगांव, मनमाड़ आदि में छोटी-बड़ी कंपनियों में लेखपाल रह चुके हैं।

काम अब भी करूंगा: विनायकः उम्र भले ही ज्यादा है, लेकिन कहीं भी कोई काम करके ही जीवन गुजारूंगा। मैंने पूरी जिंदगी काम किया, पत्नी-बेटे के जाने के बाद अकेला रह गया। मई से सड़क पर जिंदगी कट रही है, किसी से शिकायत भी नहीं है।

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