Iran-isreal : AI उकसा रहा तनाव! नकली वीडियो और गेम फुटेज को इन कामों के लिए किया जा रहा इस्तेमाल

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आज की दुनिया में युद्ध सिर्फ मैदान पर ही नहीं बल्कि सोशल मीडिया पर भी लड़े जाते हैं। AI का इस्तेमाल इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव को और भी उलझा रहा है। दरअसल सोशल मीडिया पर एक ‘नैरेटिव वॉर’ यानी झूठ और सच की लड़ाई शुरू हो गई है। इसके लिए AI से बनाए गए फर्जी वीडियो, वीडियो गेम के क्लिप्स और चैटबॉट्स के जरिए झूठ फैलाया जा रहा है।


झूठ और सच का फर्क धुंधला कर रहा AI

इस बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है गलत जानकारी का पता लगाने वाले टूल्स की सख्त जरूरत है। इसके उल्ट बड़ी टेक कंपनियों ने फैक्ट-चेकर्स के तौर पर काम करने वाले इंसानों की संख्या को घटाया है और कंटेंट मॉडरेशन कमजोर कर दिया है। इससे गलत जानकारी और अफवाहों को फैलने का और मौका मिल गया है। पिछले हफ्ते इजरायल पर ईरान के हमले के बाद सोशल मीडिया पर AI से बनाए गए फर्जी वीडियो वायरल हो गए। इन फर्जी वीडियो में दावे किए गए कि ईरान के हमले से तेल अवीव और बेन गुरियन एयरपोर्ट पर भारी नुकसान हुआ है। ऐसे वीडियो Facebook, Instagram और X पर बहुत तेजी से वायल हुए। हालांकि जब AFP की फैक्ट चेकिंग टीम ने जब इन वीडियो का रिवर्स इमेज सर्च किया, तो पता चला कि ये क्लिप्स असल में एक TikTok अकाउंट से आई हैं, जो खासतौर पर AI से बनाए गए नकली वीडियो अपलोड करता है।

एक्सपर्ट्स को क्या पता चला

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार इस बारे में BitMindAI नाम की कंपनी के संस्थापक केन जॉन मियाची का कहना है कि, “ईरान-इजरायल संघर्ष से जुड़ी AI से बनी फर्जी जानकारी बहुत ज्यादा बढ़ गई है। अब AI का इस्तेमाललोगों की सोच और नजरिए को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है।” इसी तरह AI वीडियो का पहचान करने वाली GetReal Security नाम की एक अमेरिकी कंपनी का कहना है कि इस युद्ध से जुड़े कई फर्जी वीडियो इंटरनेट पर बड़ी संख्या में फैलाए जा रहे हैं। इस बारे में उदारहण देकर समझाया जाता है कि एक वीडियो में दावा किया जाता है कि वह उस पल का है जब ईरान ने मिसाइल से तेल अवीव पर हमला किया। इसे पोस्ट करने वाली Tehran Times नाम की न्यूज वेबसाइट है। इस वीडियो में नीचे ‘Veo’ का वॉटरमार्क साफ देखा जा सकता है। यह गूगल का एक वीडियो जेनरेट करने वाला AI टूल है। इस बारे में GetReal Security के सह-संस्थापक और यूसी बर्कले के प्रोफेसर हैनी फरीद का कहना है कि “जैसे-जैसे AI टूल्स ज्यादा रियल दिखने लगे हैं, उनका गलत इस्तेमाल कर अफवाहें फैलाना आम बात हो गई है।” उन्होंने Veo से बनी नकली वीडियो की एक कमजोरी भी बताई कि यह 8 सेकेंड के होते हैं, जो कि अलग-अलग क्लिप्स से जुड़ कर बने होते हैं। ऐसे में इन छोटे वीडियो की असलियत पर सोच-विचार करके विश्वास करना चाहिए और शेयर करने से पहले 10 बार सोचना चाहिए।

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