Jabalpur News: तलाक के मामले में MP हाईकोर्ट ने खारिज की पति-पत्नी की याचिका, कहा- ‘आपसी सहमति से रद्द नहीं की जा सकती शादी’

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न और तलाक के एक मामले में फैसला सुनाया है। भोपाल की एक महिला द्वारा अपने पति और गुजरात के वडोदरा में रहने वाले ससुराल वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसे कोर्ट ने रद्द करने से इनकार कर दिया है। इस पर उन्होंने बयान देते हुए कहा कि आप मुस्लिम नहीं हैं और अदालत के हस्तक्षेप के बिना तलाक नहीं ले सकते।

दरअसल, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने भोपाल की एक महिला द्वारा ससुराल वालों पर की गई एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया है। न्यायालय ने उल्लेख करते हुए कहा कि गैर-मुस्लिमों को तलाक के लिए अदालत की मंजूरी लेनी होती है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि आपसी सहमति से शादी को रद्द नहीं किया जा सकता।

महिला ने लगाए थे दहेज उत्पीड़न के आरोप

अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि महिला ने अपने पति और ससुराल वालों के खिलाफ़ दहेज उत्पीड़न के ख़ास आरोप लगाए हैं। इन आरोपों को उचित जांच के बिना खारिज़ नहीं किया जा सकता। भोपाल की ई-7 अरेरा कॉलोनी निवासी एक महिला ने अपने पति, ससुर और सास पर दहेज मांगने और उनकी मांगें पूरी न होने पर उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। दहेज में 10 लाख रुपये और एक कार के लिए उसे प्रताड़ित किया जा रहा था । उसके माता-पिता उनकी मांग पूरी करने की स्थिति में नहीं थे। ऐसा तब हुआ जब पहले भी उसके माता-पिता ने नगद सहित पर्याप्त दहेज दिया था।

क्या बोली न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की पीठ

न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की पीठ ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अगर पक्षकार मुस्लिम नहीं हैं, तो अदालत की भागीदारी के बिना तलाक़ को मान्यता नहीं दी जा सकती। इसके अलावा कानूनी वैधता से रहित अलगाव समझौते को तलाक़ नहीं माना जा सकता।

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