देश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME) तेज ग्रोथ की राह पर हैं। SBI रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक, MSME की क्रेडिट ग्रोथ लगातार बढ़ रही है। बीते साल नवंबर तक MSME की क्रेडिट ग्रोथ 19.6%, जबकि बड़ी इंडस्ट्री की 10.5% रही। इस तरह बीते वित्त वर्ष MSME का कुल क्रेडिट 20 लाख करोड़ रुपए से ऊपर निकल गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे उद्योगों को मिलने वाले कर्ज में बढ़ोतरी हो रही है। ये इनके कारोबार विस्तार का संकेत है। दिलचस्प है कि वित्त वर्ष 2020-21 और 2021-22 के बीच MSME की संख्या 4.2 करोड़ से घटकर 2.6 करोड़ रह गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इसका कारण ये है कि कई MSME की वैल्यू निर्धारित 250 करोड़ की सीमा से ऊपर निकल गई है। अब वे MSME की श्रेणी से मध्यम आकार की कॉरपोरेट कंपनियों में तब्दील हो गई हैं।
MSME सेक्टर को इनसे मिली मदद
- उद्यम पोर्टल- सरकार ने जून 2020 में उद्यम असिस्ट प्रोग्राम (UAP) की घोषणा की। इससे देश के MSME सेक्टर में 99% हिस्सेदारी रखने वाले अनौपचारिक माइक्रो इंटरप्राइजेस (IME) को बगैर किसी जटिल कागजी कार्रवाई के औपचारिक दायरे में लाया गया। इससे इन एंटरप्राइजेज को क्रेडिट गारंटी स्कीम, सार्वजनिक खरीद नीति जैसी सरकार की विभिन्न योजनाओं का फायदा मिलने लगा।
- ECLGS- इस स्कीम से MSME को महामारी के दौरान NPA से बचाने में मदद मिली। इसकी वजह से लगभग 14.6 लाख MSME खातों को बचाया गया। इनमें से लगभग 93.8% यूनिट माइक्रो और स्मॉल कैटेगरी में आती हैं। यदि ये यूनिट NPA हो जातीं तो 1.65 करोड़ कामगार बेरोजगार हो जाते। MSME के लगभग 12% कर्ज NPA होने से बच गए।
अन्य सेक्टरों में भी रिकवरी: कंस्ट्रक्शन, NBFC, पावर, मेटल जैसे कुछ सेक्टरों में मार्च 2022 तक बकाया क्रेडिट मार्च 2018 की तुलना में 3 गुना तक रहा। एडिबल ऑयल, प्रिंटिंग, कंज्यूमर ड्यूरेबल, फार्मा, एविएशन जैसे सेक्टर महामारी से प्रभावित हुए और रिकवर कर गए। उनमें क्रेडिट ग्रोथ थोड़ा कम रहा।