Station Branding: दिल्ली मेट्रो की राह पर एनसीआरटीसी, सरकारी से लेकर निजी कंपनियों के नाम से जाने जाएंगे रैपिड रेल के स्टेशन

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भारत के पहले रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) चलाने वाली कंपनी एनसीआर ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (NCRTC) भी एक मामले में दिल्ली मेट्रो के राह पर चल पड़ी है। जी हां, इसने भी अपने दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के कुछ स्टेशनों के ब्रांडिंग के अधिकार कंपनियों को देगी। इसके लिए एनसीआरटीसी ने टेंडर निकाला है। कंपनी का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य यात्रियों के अनुभव और सुविधा को बढ़ाने के साथ-साथ आरआरटीएस कॉरिडोर की वित्तीय स्थिरता के लिए नॉन-फेयर बॉक्स रेवेन्यू के विकल्प उत्पन्न करना है। इसमें भाग लेकर, ब्रांड्स अपने नाम को आरआरटीएस स्टेशनों के साथ जोड़कर अपनी ब्रांड पहचान को प्रभावी रूप से बढ़ा सकते हैं, जिससे वे व्यापक जनसमूह तक पहुंच सकते हैं।

कंपनियों को क्या मिलेगा?

एनसीआरटीसी का कहना है कि इन अधिकारों को प्राप्त करने वाले ब्रांड्स को स्टेशन के नाम के पहले या बाद में अपने नाम को जोड़ने, स्टेशन की दीवारों, होर्डिंग्स, और प्रवेश/निकास द्वारों पर अपने ब्रांड के रंगों को शामिल करने, और निर्मित व खाली जगहों का उपयोग करने का अवसर मिलेगा। ब्रांडिंग स्टेशन के अंदरूनी हिस्सों जैसे कॉनकोर्स और प्लेटफार्म स्तर पर और बाहरी हिस्सों जैसे स्टेशन के दोनों किनारों पर स्थित कॉलम और पियर तक फैलेगी, जिससे उनके ब्रांड्स सड़क पर और पैदल यात्रियों को भी प्रभावी रूप से दिखाई देंगे। एनसीआरटीसी, इन व्यापक ब्रांडिंग अवसरों के अलावा, ट्रेन के भीतर ऑडियो अनाउंसमेंट में भी को-ब्रांडेड स्टेशन के नामों को शामिल करेगा, जिससे दैनिक यात्रियों के साथ ब्रांड इंटरैक्शन और बढ़ेगा। स्टेशन के नक्शों पर भी ब्रांड के लोगो को प्रमुखता से दिखाया जाएगा, और बिना भुगतान वाले क्षेत्रों में कैनोपीज़ आदि के द्वारा अनुभवात्मक मार्केटिंग के लिए स्थापित किया जा सकेगा।

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