अतिरिक्त डॉक्टर की कमी से प्रसव पीड़ा वाली गर्भवती महिलाए परेशान

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वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। शासकीय सिविल अस्पताल वारासिवनी में सीजर व्यवस्था को लेकर कई प्रकार की समस्याएं सामने आ रही है। जिससे प्रसव पीड़ा वाली गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा ही मामला २१ जून को सामने आया कि एनेस्थीसिया के डॉक्टर छुट्टी पर होने से सभी गर्भवती महिलाओं को बालाघाट जाने के लिए कहा गया। किंतु प्रसव पीड़ा वाली महिलाएं वारासिवनी में ही सीजर करने के विषय पर अड़ी रही। वहीं उन गर्भवती महिलाओं को लाने वाली आशा कार्यकर्ताओं के द्वारा भी विरोध किया गया कि इस प्रकार से नहीं चलेगा। अतिरिक्त में डॉक्टर होना चाहिए यदि नहीं है तो कहीं से व्यवस्था की जानी चाहिए। जहाँ काफ ी देर बाद बालाघाट से एनेस्थीसिया डॉक्टर को बुलवाया गया जिसके बाद यह सीजर प्रक्रिया संपन्न की गई। हालांकि इस दौरान गर्भवती महिलाओं को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा।

अस्पताल में अतिरिक्त चिकित्सक की नहीं है व्यवस्था

शासकीय सिविल अस्पताल वारासिवनी में १ वर्ष से अधिक समय हो गया है सीजर व्यवस्था प्रारंभ की गई है। जहां पर सभी प्रकार कि प्रसव पीड़ा होने पर सीजर किया जाता है। इस दौरान एनेस्थीसिया शिशु रोग एवं सर्जन की उपस्थिति अनिवार्य होती है। जो वारासिवनी अस्पताल में पदस्थ है परंतु उनके छुट्टी पर जाने के दौरान सीजर व्यवस्था चौपट हो जाती है। इसमें बताया जा रहा है कि पिछले करीब ५ दिनों से एनेस्थीसिया के डॉक्टर छुट्टी पर अपने पारिवारिक कारणों से हैं। ऐसे में सीजर के लिए आ रहे मरीजों को बालाघाट रिफर कर दिया जा रहा है। जिसमें देखने में आता है कि प्रसव पीड़ा वाली महिला को अस्पताल में भर्ती किया जाता है। जहां पर नॉर्मल डिलीवरी ना होने पर सीजर की स्थिति को देखते हुए रिफर किया जाता है । ऐसे में कई बार महिलाएं हाई रिस्क पर होती है तो वहीं कई महिलाएं बालाघाट जाने में असमर्थ हो जाती है परंतु उन्हें रिफर किया जाता है। जबकि अतिरिक्त डॉक्टर की व्यवस्था नहीं की जा रही है ,ऐसा ही पिछले दिनों अस्पताल में पदस्थ दो सर्जन १५ दिन की छुट्टी पर चले गए थे उस दौरान भी १५ दिनों तक सीजर व्यवस्था बंद रही। यह स्थिति लंबे समय से बनी हुई है जहां पर किसी भी एक डॉक्टर के छुट्टी पर जाने से पूरी व्यवस्था बंद हो जाती है । लोगों को बालाघाट रिफर कर दिया जाता है। जबकि यह आपातकालीन व्यवस्था है लेबर पेन कभी भी प्रारंभ होता है। ऐसे ही २१ जून की सुबह ४ बजे दो महिलाओं को लेबर पेन होने पर अस्पताल में भर्ती किया गया था। जिन्हें एनेस्थीसिया डॉक्टर छुट्टी पर होने पर बालाघाट रिफर की सलाह स्टाफ के द्वारा दे दी गई। जो बालाघाट नहीं जाने पर अड़े रहे इसके बाद देर समीर व्यवस्था बनाई गई। परंतु इसके पहले रात्रि में तक आने वाली प्रसव पीड़ा को बालाघाट के लिए रिफर किया गया है जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है। क्योंकि जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा पूर्व नियोजित व्यवस्था निश्चित नहीं की गई जिस कारण से लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। इसमें जागरूक नागरिकों के द्वारा नियमित रूप से व्यवस्था बनाए जाने और अतिरिक्त में डॉक्टर रखने की की मांग शासन प्रशासन से की गई है।

वारासिवनी अस्पताल में लापरवाही का आलम है -सविता उंदीरवाड़े

आशा कार्यकर्ता सविता उंदीरवाड़े ने बताया कि हमारे द्वारा कोसरीटोला से लेबर पेन होने पर गर्भवती महिला को लाया गया है। जिसकी प्रसव पीड़ा सही है पर उसे बालाघाट रिफर कर रहे हैं जबकि पेशेंट वारासिवनी में अपना सिजर करना चाहती है। किंतु यहां पर मैडम नहीं है तो दिक्कत है डॉक्टर की भी व्यवस्था नहीं है । वह छुट्टी पर जाते हैं तो उनकी जगह दूसरे डॉक्टर की व्यवस्था नहीं की जाती है। जबकि यह होना चाहिए कि प्रसव वाले मरीजों को सुविधा मिल सके परेशानी ना हो हमारे द्वारा उन्हें यहां एडमिट कर दिया गया हैं।

समय पर डॉक्टर की मौजूदगी नही होने से पेशेंट परेशान है-हिमांशु मेश्राम

हिमांशु मेश्राम ने बताया कि मेरी पत्नी का प्रसव का समय होने पर उसे सिविल अस्पताल में लाकर भर्ती किया गया है। यहां पर मैडम बोल रही है कि इमरजेंसी केस है और डॉक्टर भी नहीं है बालाघाट लेकर जाओ मैं बालाघाट नहीं जाना चाहता क्योंकि मेरे पास सुविधा भी नहीं है। यहां डॉक्टर की भी सुविधा नहीं है हम चाहते हैं कि यहीं पर डिलेवरी हो बालाघाट हम क्यों जाए जब सब व्यवस्था हमारे यहां पर है। यदि बालाघाट जाते हैं तो रोड़ खराब है आना जाने की परेशानी है रहने खाने की परेशानी है और वहां पर जब रुपए मांगे जाएंगे तो हम सरकारी की जगह प्राइवेट में जाएंगे किंतु हमारी स्थिति नहीं है कि हम बालाघाट जाए मैं मजदूरी कार्य करता हूं।

इमरजेंसी में यहां पर डाक्टर उपस्थित नहीं रहते है-गीता कटरे

आशा कार्यकर्ता गीता कटरे ने बताया कि १ वर्ष से यहां पर सीजर हो रहा है जिसमें गंभीर स्थिति वाले मरीज यहां पर आते रहते हैं । हाई रिस्क डिलीवरी में रहते हैं उन्हें भी यहां पर उपचार मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है। इमरजेंसी में एक डॉक्टर यहां पर रहना चाहिए वह नहीं रहता है हमारे गांव का एक डिलीवरी कैसे आया वह बहुत तकलीफ में है यहां पर एनेस्थीसिया का डॉक्टर नहीं है। अब बालाघाट लेकर जो बोल रहे हैं पेशेंट की हालत अस्पताल के गेट तक जाने की नहीं है पेशेंट भी यहीं पर डिलीवरी करना चाहता है इमरजेंसी में यहां पर डाक्टर उपस्थित नहीं रहते हैं। जबकि एनेस्थीसिया शिशु रोग और सर्जन होना चाहिए इनमें से एक डॉक्टर नहीं आया तो सीजर नहीं होगा कहते हैं। ऐसे लगातार ६ गर्भवती महिलाएं रोज वापस जा रहे हैं बालाघाट में भी जाओ तो वहां पर रुपये लगते हैं परेशान करते हैं कई लोग प्राइवेट में जाते हैं। जब शासकीय अस्पताल में नि:शुल्क उपचार लिखा हुआ है तो रुपये क्यों यह बहुत दिनों की समस्या है इसकी शिकायत हमारे द्वारा की गई है। हम यही चाहते हैं कि अतिरिक्त में डॉक्टर रखे जाएं या कोई व्यवस्था बनाई जायें।

इनका कहना हैं

हमारे यहां सीजर में समस्या जाती है कुछ समय पहले दो सर्जन छुट्टी पर गई थी। वह आई तो एनेस्थीसिया डॉक्टर छुट्टी पर है उनके पिता की मौत हो गई है। हमारे द्वारा बालाघाट से बात की गई है एक सीजर आज हुआ है सभी कार्य पूर्ण नियोजित है । किंतु व्यवस्था जिले से होती है और प्राइवेट पर यदि हम बुलाते हैं तो फ ंड की हमारे पास कमी है।

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