नगर में इन दिनों आवारा कुत्तों की तादाद काफी बढ़ गई है जिनके नियंत्रण की कोई योजना नगर पालिका द्वारा नहीं बनाई गई है और ना ही पशु विभाग के पास इन आवारा कुत्तों की नसबंदी के लिए कोई आदेश है जिसके चलते नगर के विभिन्न चौक चौराहों मुख्य मार्गों सहित नगर की गलियों में बेहिसाब कुत्ते देखे जा रहे हैं जो राह चलते लोगों पर कब झपटा मारकर उन्हें जख्मी कर दें या उन्हें कब काट कर घायल कर दें इसकी कोई गारंटी नहीं है इसलिए नगर में बेलगाम घूम रहे आवारा कुत्तों से सावधान रहने और नागरिकों को स्वयं अपनी रक्षा करने की जरूरत है क्योंकि कुत्तों के आतंक पर लगाम लगाने के अब तक कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं और कई लोगों को काट कर घायल करने के बाद भी नगर पालिका की हाका गैंग और पशु विभाग की टीम ने आवारा कुत्तों को पकड़ने की मुहिम तक शुरू नहीं की है ।
आतंक मचाने वाले पागल कुत्ते का नहीं लगा सुराग
आपको बताएं कि नगर में ठीक है 1 दिन पूर्व सोमवार को सफेद रंग के एक पागल कुत्ते ने अपना आतंक मचाते हुए 2 पुलिसकर्मी सहित 15 लोगों को काट कर घायल कर दिया था।उस कुत्ते को पकड़ना तो दूर की की बात नगरपालिका की टीम उस कुत्ते का सुराग तक नहीं लगा पाई है। वह पागल कुत्ता कहां पर है?किसका है? इसकी जानकारी तक नपा व पशु विभाग के पास नहीं है। मतलब साफ है कि आतंक मचाने वाले इस आवारा पागल कुत्ते को खोजने में जब नपा की टीम कामयाब नहीं हो सकी तो फिर नगर में आवारा घूम रहे कुत्तों को पकड़ने में यह टीम कैसे कामयाब हो पाएगी यह बड़ा सवाल आज लोगों की जुबान पर है।
सड़कों पर घूम रहा आवारा कुत्तों का झुंड
शहर में आवारा कुत्ते एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं। शहर में शायद ही ऐसा कोई मोहल्ला या फिर गली होगी, जहां पर आवारा कुत्तों का झुंड न हो। रात के समय यह काफी खतरनाक हो जाते हैं। बावजूद इसके नगर पालिका का इनपर कोई ध्यान नही है जिसके चकते शहर में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से शहरवासी परेशान हैं। कुछ क्षेत्रों में इनका इतना आतंक है कि लोग रात के समय गली-मोहल्लों से निकलने में डर रहे हैं। वही नगर पालिका इनकी संख्या को नियंत्रित करने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं चला रही है, जिससे शहर में आवारा कुत्तों की तेजी से संख्या बढ़ रही है। पिछले कई दिनों से आवारा कुत्ते नगर में 15 से 20 की संख्या में झुंड बनाकर नगर में घूम रहे हैं।लोगों के घरों के सामने यह कुत्ते घंटों बैठे रहते हैं।ऐसे में लोग अपने घरों से निकलने से डर रहे हैं।वहीं छोटे बच्चे भी सड़क पर नहीं खेल पा रहे हैं।इतना ही नहीं स्कूल और ट्यूशन जाने वाले बच्चों को भी इन आवारा कुत्तों के काटने का डर बना हुआ है।नगर पालिका इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।बीते साल नगर पालिका ने आवारा कुत्तों को पकड़कर शहर के बाहर छोड़ने का अभियान चलाया था लेकिन इस वर्ष ऐसा कुछ भी नजर नही आ रहा है।
इसीलिए बढ़ रही कुत्तों की तादाद
जानकारों के मुताबिक अक्टूम्बर से लेकर दिसम्बर-जनवरी माह में इनकी ब्रिडिंग का सीजन होता है। ऐसे में इन 3-4 माह में इनके पास से गुजरने पर उन्हें खतरे का आभास हो जाता है जिसपर वे हमला कर देते हैं। इसके अलावा ब्रिडिंग सीजन के चलते ये शहर में झुंड बनाकर घूमते हैं।वही सड़क दुर्घटना से बचने और आपने साथियो को बचाने के लिए राह चलते लोगो पर झपट पड़ते हैं।
मास खाकर हो रहे हिंसक
नगर के प्रमुख चौराहों और गलियों में लगे बिरियानी और मुर्गा बिक्री के ठेलों में आवारा कुत्ते मंडराते रहते हैं। जो बचे अण्डा व मांस के टूकड़ों को खा-खाकर हिंसक हो रहे हैं। दुकानदार भी अण्डा ,मांस व मछली के टुकड़ों को खुले में फेंक देते है।जिसकी आस में ये इधर से उधर भटके रहते है।वही लोगो को काटकर घायल भी कर रहे है।
पंजीकरण की नहीं है कोई व्यवस्था।
बताया जा रहा है कि नगर पालिका के पास शहर में आवारा कुुत्तों का कोई आंकड़ा नहीं है।जहा मुख्य सड़कों से लेकर गली-मोहल्लों में कुत्तों के झुंड दिखाई देते हैं। रात में अगर कोई पैदल या बाइक-स्कूटी से जाता है तो कुत्ते काटने को दौड़ पड़ते हैं। ऐसे में कुत्ते से बचने के चक्कर में अनियंत्रित होकर भी काफी लोग घायल हो जाते हैं।उधर नगर पालिका या पशुपालन विभाग की ओर से कुत्ते पालने के लिए पंजीकरण, लाइसेंस जैसी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ऐसे में ऐसा कोई आंकड़ा भी नहीं है कि नगर में कितने कुत्ते ऐसे हैं, जिनका पालन होता है।वही लोग भी नियमो को ताक में रख बिना पंजीयन कराए कुत्ते पाल रहे है।
आवारा कुत्तों को पकड़कर कराई जाएगी नसबंदी-मटसेनिया
मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान मुख्य नगरपालिका अधिकारी सतीश मटसेनिया ने बताया कि आवारा कुत्तों को लगाम लगाने के लिए गैंग बनाई गई है। कुत्तों को पकड़ कर उनकी नसबंदी कराने के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी से बात हुई है ताकि कुत्तों की पैदावार को कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि कल एक पागल कुत्ते ने कुछ लोगों को काटा है ऐसी जानकारी मिली है उस कुत्ते को ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन कुत्ता नहीं मिल रहा है ।हो सकता है कि कुत्ता मानसिक रूप से बीमार था तो उसकी मौत हो गई होगी। वही पशु चिकित्सक ने कहा है कि पिछले समय नसबंदी की योजना शुरू थी लेकिन वर्तमान समय में नसबंदी की योजना बंद है जिसके चलते वे उच्च अधिकारियों से बात करेंगे। जल्द ही कुत्तों को पकड़कर उनकी नसबंदी कराने का कार्य शुरू कराया जाएगा।










































