बालाघाट(पदमेश न्यूज़)।
अमृत भारत योजना के तहत नवीकरण होने वाले देशभर के चिन्हित रेलवे स्टेशनों में, बालाघाट रेल्वे स्टेशन भी शामिल है।जिसके नवीनीकरण का कार्य वर्ष 2024 से शुरू हुआ है, जो वर्तमान समय मे लगभग 80 प्रतिशत तक पूर्ण हो चुका है। जहां रेलवे स्टेशन परिसर में जगह-जगह आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। नवीनीकरण के दौरान आदिवासी संस्कृति की थीम पर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा रहा है जिसमें गेडी से फुटबॉल खेलते हुए दो आदिवासी खिलाड़ियों की प्रतिमा रेलवे स्टेशन के बाहर लगाई गई है। तो वही रेलवे स्टेशन की बाहरी दीवारों में आदिवासी सभ्यता की झलक उकेरी जा रही है ।इसके अलावा सेल्फी पॉइंट में भी आदिवासी संस्कृति की झलक देखने को मिल रही है। कुल मिलाकर कहा जाए तो राष्ट्रीय मानव आदिवासियो के रहन-सहन, उनके खान-पान, उनकी वेशभूषा, उनके खेल और उनकी सभ्यता संस्कृति को रेलवे स्टेशन की बाहरी दीवारों पर उतारने का काम किया जा रहा है वही आदिवासी संस्कृति की थीम पर प्रोजेक्ट को बढ़ाया जा रहा है ।जो स्टेशन पहुचने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता नजर आ रहा है।
3 राज्यों में प्रसिद्ध है गेड़ी नाट्य, और गेड़ी फुटबॉल खेल
प्राप्त जानकारी के अनुसार गेड़ी का संबंध विशेष पर्व से है। वर्षा के दिनों में कीचड़ से बचने के लिए किसान, छोटे बच्चे बांस से गेड़ी बनाते हैं। लंबे बांस के निचले हिस्से में पैर रखने के लिए बांस के टुकड़े बांधे जाते हैं। नृत्य और कीचड़ से बचने में इस्तेमाल होने वाली गेड़ी से अब फुटबाल भी खेला जा रहा है, जिसकी झलक जल्द स्टेशन परिसर में नजर आएगी।बताया गया कि मप्र के अलावा छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के आदिवासी अंचलों में गेड़ी नृत्य काफी लोकप्रिय है
बैगा ओलम्पिक से आया गेड़ी से फुटबाल खेलते आदिवासी खिलाड़ी की मूर्ति का आडिया
बताया जा रहा है कि स्टेशन परिसर में देसी खेलों के प्रचार से जुड़ी मूर्ति लगाने का आइडिया बैहर में 2020 में हुए खेल महाकुंभ (बैगा ओलंपिक्स) से आया।आदिवासी अंचलों में खेले जाने वाले देसी व पारंपरिक खेलों में गेड़ी से फुटबाल खेलना काफी प्रसिद्ध है। इसका आयोजन बैहर के उत्कृष्ट विद्यालय मैदान में जनवरी 2020 में किया गया था। जहाँ गेड़ी के अलावा यहां धनुषबाण, रस्सा-कसी, भाला फेंक, लीपापोती, कुश्ती जैसे पारंपरिक खेल हुए थे। बैगा ओलम्पिक से ही आइडिया लेते हुए ही रेलवे प्रबंधन द्वारा गेड़ी से फुटबॉल खेलते आदिवासी खिलाड़ियों की मूर्ति लगाई गई है ताकि इस खेल को आगे प्रमोट किया जा सके।जानकारी के अनुसार, ये मूर्ति मेटल की बनी है। देसी खेल के प्रचार के लिए पुरातत्व विभाग की पहल पर इस मूर्ति का चयन किया गया है। आने वाले दिनों में इस मूर्ति का जल्द अनावरण किया जाएगा। जिसको लेकर बचे हुए 20% कार्य को भी जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि जल्द से जल्द कार्य पूर्ण कर इसका अनावरण किया जा सके।
आदिवासी संस्कृति को किया जा रहा प्रमोट
रेलवे स्टेशन के बाहरी क्षेत्र को माडल स्टेशन की तर्ज पर रिनोवेट यानी नवीकरण किया जा रहा है। इसकी पूरी थीम ‘आदिवासी ’संस्कृति पर आधारित है। स्टेशन की बाहरी दीवारों पर उकेरे गए चित्रों में बालाघाट जिले की आदिवासी संस्कृति की झलक के साथ परिसार में ‘देसी’ खेलों का भी प्रचार किया जा रहा है। स्टेशन परिसर में पीपल के पेड़ के नीचे ‘गेड़ी’ से फुटबाल खेलते दो आदिवासी खिलाड़ियों की प्रतिमा लगाई गई है। वही स्टेशन के बाहरी दीवारों को आकर्षक बनाने के लिए आदिवासी संस्कृति की झलक दिखाती हुई पेंटिंग उकेरी गई है। बाहरी दीवारों चटक लाल, हरे, पीले, नीले जैसे रंगों से पेड़-पौधों, वन्यजीवों, आदिवासी समुदाय, ग्रामीण परिवेश को उकेरा गया है। बताया जा रहा है कि ऐसा करके आदिवासी संस्कृति को प्रमोट किया जा रहा है ताकि इस संस्कृति से लोगों को अवगत कराया जा सके।
जल्द पूरा किया जाएगा निर्माण कार्य- इंजीनियर
इस पूरे मामले को लेकर की गई औपचारिक चर्चा के दौरान रेलवे विभाग के एक इंजीनियर ने बताया कि जिला प्रशासन के पुरातत्व विभाग और रेलवे विभाग ने मंथन किया और गेड़ी से फुटबाल खेलते दो आदिवासी खिलाड़ी की मूर्ति लगाने की योजना बनाई। जिसको मूल रूप देते हुए गेड़ी से फुटबॉल खेलते दो आदिवासी की प्रतिमा रेलवे स्टेशन के बाहर लगाई गई है। तो वहीं रेलवे स्टेशन के बाहरी दीवारों पर भी आदिवासियों की सभ्यता संस्कृति को उकेरने का काम किया गया है। निर्माण कार्य 80% प्रतिशत हो चुका है, जबकि 20% निर्माण कार्य अभी बाकी है। जिसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा।