सभी जानतें हैं कि कंगना रनोट कितनी प्रतिभावान हैं, मगर साथ -साथ उतनी ही बेबाक और बिंदास भी। अभिनय हो या निर्देशन अथवा अपना मत प्रकट करने की बात। वे हमेशा दृढ़ संकल्प रहीं हैं। लोग उन्हें कॉन्ट्रोवर्शियल क्वीन के नाम से भी जानते हैं, मगर वे अपनी शर्तों पर जीती हैं। कई राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाली ये एक्ट्रेस इन दिनों चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर। उनसे एक बेबाक मुलाकात।
अपनी भूमिकाओं के लिए चार-चार राष्ट्रीय पुरस्कार हों या आपका पॉलिटिकल करियर, गौरवान्वित पल तो कई हैं, मगर आपके करियर का सबसे मुश्किल दौर कौन-सा था?
– मुझे लगता है शुरू के साल बहुत मुश्किल थे मेरे लिए, खासकर तब जब मैं गैंगस्टर और वो लम्हे भी भी कर ली थी। उसके बाद मुझे काम मिलता नहीं था। फैशन भी हुई, मगर इक्का-दुक्का उम्मीद जगती थी फिर काम मिलना बंद हो जाता था। दो-दो साल का वक्फा ऐसा होता था, जब मेरे पास काम नहीं था। मैं काफी यंग थी। तो दिमाग में कई खयाल आते थे कि क्या मुझे अपने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करनी चाहिए? कहीं ऐसा न हो कि न मैं यहां की रहूं न वहां की। मेरे जैसी लड़की, जो इस तरह से छोटे गांव से आती हो, जिसे इंग्लिश ना आती हो, जिसके पास कोई सर्टिफिकेट्स ना हो और वह इस इंडस्ट्री में अपनी जमीन तलाश रही हो, तो वह दौर मेरे लिए बहुत मुश्किल था। वो दौर सालों-साल चलता गया। आखिरकार मैंने डिसीजन ले लिया कि एक्टिंग में नहीं लग रहा है, कुछ होगा। बस उसी वक्त मैंने अपनी पहली फिल्म डायरेक्ट की थी, वह 23 की उम्र में।
फिर मैंने छोटे-मोटे रोल्स करके थोड़े पैसे-वैसे कमाए, फिर मैं अमेरिका चली गई। वहां पर मैंने कुछ स्क्रीन राइटिंग का काम किया। मुझे हंड्रेड पर्सेंट कंफर्म लग रहा था कि एक्टिंग में मेरा कुछ होने नहीं वाला। उस समय टिपिकल फिल्में बनती थीं, जो मुझे अच्छी भी नहीं लगती थीं। फिर मैंने अपनी एक शॉर्ट फिल्म बनाई कैलिफोर्निया में। वहां मुझे एक एजेंसी ने फिल्मकार के रूप में हायर कर लिया। मैंने वहां काम कर रही थी,तो मेरे करियर का 7-8 साल का संघर्ष का लंबा वक्फा था। आप फोटोग्राफी सीख रहे हो, निर्देशन सीख रहे हो,स्क्रिप्ट लिख रहे हो। मैंने थोड़ा-बहुत पैसा कमाने के लिए एक फिल्म की क्वीन और देखिए वो फिल्म ऐसी चल पड़ी। मगर तब तक मैं उस जर्नी में आगे निकल चुकी थी। तब तक मुझे निर्देशन का कीड़ा काट चुका था। मेरा एक्टिंग में अच्छे से मन नहीं लगता था। निर्देशकों को लगने लगा कि ये वैल्यू नहीं करती, तो ये सच ही था। अब जब मैंने इमर्जेंसी फिल्म की तब मुझे चैन आया।