इंदौर में बोरवेल के नए नियमों से उलझन

0

बोरवेल के नए नियमों से इंदौर नगर निगम उलझ गया है। उसके पास शहर में पहले से मौजूद निजी बोरिंगों का कोई डाटा तो है नहीं, साथ ही नए बोरिंगों की मीटरिंग और मानिटरिंग के लिए भी कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। अब निगम को पूरा नया सिस्टम खड़ा करना होगा और अफसरों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बोरिंग अनुमति के नियम शिथिल होने का लोग बेजा फायदा न उठाने लगे। इस बीच निगमायुक्त प्रतिभा पाल अधिकारियों के साथ मंगलवार को नए नियमों के अनुरूप दिशा-निर्देश तय करने के लिए बैठक करेंगी। निगमायुक्त ने बताया कि निगम को मशीनों के पंजीकरण और निजी बोरिंगों की अभिस्वीकृति का दायित्व दिया गया है। इसके लिए टीम बनाएंगे। स्मार्ट सिटी क्षेत्र में पानी के लिए मीटरिंग सिस्टम लागू किया जा रहा है। उसी तरह बोरिंग के मामले में भी कुछ जगह मीटरिंग करनी होगी। इन सभी के लिए गाइडलाइन बनाएंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि बोरिंग की अनुमति नहीं लेने संबंधी केंद्र का फैसला सही है। अब इस मामले में शहरों को केंद्रीय तकनीकी एजेंसी का मार्गदर्शन मिल सकेगा, जो सही डाटा पर निर्भर होगा। नगर निगम के कर्ताधर्ताओं के लिए यह सुनिश्चित करना भी चुनौती होगा कि केंद्रीय भूजल प्राधिकरण को शहर के सही आंकड़े भेजें, ताकि वे तय कर सकें कि शहर के लिए क्या जरूरी है। नगर निगम को खासतौर पर होटल, माल, थिएटर, रेस्त्रां और टाउनशिप के बोरिंगों पर मीटरिंग अनिवार्य करना चाहिए। इन मीटरों को सीधे निगम के सर्वर से जोड़ना चाहिए, ताकि पता चले कौन ज्यादा पानी निकाल रहा है। अब तक नगर निगम के पास खुद के बोरिंगों का आंकड़ा (लगभग 5,600) तो है, लेकिन कितने घरों या इमारतों में बोरिंग हैं, इसका कोई अधिकृत आंकड़ा नहीं।

न निजी बोरिंग का डाटा, न मीटरिंग-मानिटरिंग की व्यवस्था

हर बोरिंग का पत्रक भरवाएं

– जल विशेषज्ञ सुधींद्र मोहन शर्मा के अनुसार निगम को हर बोरिंग का पत्रक भरवाना चाहिए। मसलन, बोरवेल कितना गहरा कराया है, पानी कितने फीट पर कितनी मात्रा में मिला और कितने केसिंग का पाइप डाला गया है। पत्रक में पूछा जाना चाहिए मोटर कितनी गहराई में लगाई गई है। पत्रक से हर बोरिंग संबंधी तमाम जरूरी तथ्य और जानकारियां निगम के पास आ जाएंगी।

– इससे पता चल सकेगा कि शहर के किन इलाकों में ज्यादा बोरिंग हो रहे हैं और वहां भूजल की क्या स्थिति है। इससे संबंधित क्षेत्रों का भूजल स्तर बढ़ाने के उपाय करने में मदद मिलेगी।

– निजी बोरिंग करवाकर कोई पानी बेचकर व्यावसायिक उपयोग कर रहा है या बिना एनओसी बोरिंग चला रहा है, तो इसे रोकने के लिए विशेष जांच टीम बनाकर कार्रवाई का अधिकार देना होगा।

– ऐसे संस्थान जहां टैंकर धुलते हैं या सर्विस सेंटर हैं, उन्हें भी व्यावसायिक श्रेणी में लाना होगा।

– नगर निगम को खुद भी अपने बोरिंग की मीटरिंग करनी होगी, जिससे पता चलेगा सार्वजनिक बोरिंग से कितने पानी का दोहन किया जा रहा है।

लगभग 50 हजार बोरिंग

शहर में निजी बोरिंग का कोई अधिकृत आंकड़ा तो दर्ज नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है शहर में पांच लाख संपत्ति है। 10 फीसद संपत्ति में भी बोरिंग है, तो यह आंकड़ा 50 हजार के आसपास हो सकता है। नर्मदा परियोजना (शहर) के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव बताते हैं निगम को निजी बोरिंग की संख्या की जानकारी नहीं है। आला स्तर पर फैसला होता है, तो घर-घर सर्वे कर यह संख्या पता की जा सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here