बालाघाट : जिला अस्पताल में डायलिसिस से तौबा

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 कोरोना संक्रमण काल की दूसरी लहर के दौरान जिला अस्पताल के अधिकांश वार्डो को कोविड वार्ड बनाए जाने के बाद से ही किडनी के पीडि़त मरीजों द्वारा डायलिसिस करवाने के लिए जिला अस्पताल से तौबा कर ली गई। स्थिति सामान्य होने के बाद भी जिला अस्पताल नहीं आ रहे।
डायलिसिस मशीन का कक्ष बदल

जिला अस्पताल डायलिसिस प्रभारी डॉ गीता बोकाडे ने बताई कि द्वारा कोविड संक्रमण और किडनी के मरीजों की परेशानी को देखते हुए डायलिसिस मशीन का कक्ष बदल कर मेडिकल वार्ड से दूर कर बर्न वार्ड के बाजू में बना दिया गया है।  मरीजों की समस्या को देखते हुए एक मशीन और बढ़ा दी गई है बावजूद इसके मरीज डायलिसिस करवाने के लिए जिला अस्पताल नहीं आ रहे। इस बात की जानकारी स्वयं डायलिसिस वार्ड की प्रभारी देते हुए बताती है कि अब मरीजों को डरने की बात नहीं है, वे बेफिक्र होकर जिला अस्पताल आ सकते हैं।
कम चार्ज फिर भी नहीं मरीज

आपको बताएं कि जिला अस्पताल में डायलिसिस नॉमिनल चार्ज किया जाता है वहीं दूसरी ओर निजी अस्पतालों में डायलिसिस करवाने के लिए एक बार में मरीज को दो से 3 हजार खर्च करने पड़ते हैं। बावजूद इसके कोविड से लोगों को इतना अधिक डर सता रहा है कि लोग जिला अस्पताल आना पसंद नहीं कर रहे।
कोविड से डरे किडनी के मरीज

इसके पीछे बड़ी वजह यह भी है कि मार्च माह तक जिला अस्पताल में जहां 32 मरीज डायलिसिस के लिए पंजीकृत थे वही जुलाई माह के दौरान महज 16 मरीज ही डायलिसिस के लिए पंजीकृत बचे हुए हैं। इसकी मुख्य कारण 16 मरीजों की कोविड काल में मौत हो गई। जो 16 स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए डायलिसिस करवा रहे हैं उनमें से भी अधिकांश निजी अस्पतालों में जा रहे हैं।

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