कृषि उपज मंडी मे आयी नई धान की फसल

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दीपावली पर्व के नजदीक आते ही किसानो ने अपनी उपज को बेचने का सिलसिला स्थानीय कृषि उपज मंडी में प्रारंभ कर दिया है। मगर किसान उचित मूल्य न मिलने सेे नाखुश नजर आ रहा है। किसान का कहना है कि एक तो पटवारियो की हड़ताल की वजह से हमारी गिरदाबली नही हुई है वही वर्तमान समय मे हमे जो मूल्य मिलना चाहिये वो मंडी मे नही मिल पा रहा है। मगर हमारी मजबूरी है कि हमे नई फसल को बेचकर एक पखवाड़े के अंदर पडऩे वाले दीपावली पर्व के कारण अपनी उपज को कम दाम में बेचने मजबूर होना पड़ रहा है। गौरतलब है कि नई बारिक व मोटी धान की किसानो ने गहानी प्रारंभ कर दी है। कुछ किसान उक्त उपज को लेकर स्थानीय कृषि उपज मंडी मे भी बेचने पहुॅच रहे है ताकि दीपावली पर्व समारोह पूर्वक मनाया जा सके मगर उनकी उपज काफी कम दाम मे बिक रही है जिससे किसान काफी निराश दिखाई दे रहा है।
२४ सौ मोटी व बारिक धान का मिले ३ हजार रूपये मूल्य – शांतिलाल राहंगडाले
पद्मेश को जानकारी देते हुये बुदबुदा निवासी किसान शांतीलाल राहंगडाले ने बताया कि वे नई फसल की मोटी धान बेचने आये है। जो दो हजार इक्कीस सौ रूपये में गई है। जबकि उन्हे करीब अपनी इस फसल का दाम चौबीस सौ से पच्चीस सौ रूपये तक मिलना था। हम लोगो के लिये खेती नुकसान का धंधा साबित हो रही है। कई पैसे तो हमे मजदूरो को देना पड़ता है। वही गिरदाबली नही होने से अब हम मंडी मे ही धान बेचने मजबूर है। हम चाहते है कि मंडी मे भी हमारी फसल का उचित दाम हमे मिले।
समर्थन मूल्य से कम रेट मे बिक रहा मोटा धान – भगवत नगपुरे
इसी तरह दीनी के किसान भगवत नगपुरे ने पद्मेश को बताया कि हम लोगो को मंडी मे अपनी उपज का सही दाम नही मिल रहा है। बारिक धान २२ सौ से २३ सौ रूपये के बीच बिक रहा है वही मोटा धान १८ सौ से १९ सौ रूपये के बीच है। ऐसे मे दीपावली पर्व आ रहा है इसलिये हम अपनी नई उपज बेचने आये है। वही हमने समर्थन मूल्य में बेचने के लिये ऑनलाईन पंजीयन कराया है क्योकि हमारी गिरदाबली भी पटवारी ने नही की है। हम चाहते है कि बारिक धान कम से कम ३ हजार रूपये तक मंडी मे व्यापारी खरीदे ताकि हम लोगो को भी राहत मिल सके।
३ हजार रूपये मिलना चाहिये बारिक धान का मूल्य – रूपेश हनवत
मेंडक़ी निवासी किसान रूपेश हनवत ने पद्मेश को बताया कि हमारी बारिक धान ३० अक्टूबर को २३ सौ रूपये से कुछ अधिक मूल्य पर बिकी है। जबकि यह धान २९ सौ से ३ हजार रूपये की बिकना चाहिये थी। वही मोटी धान को हमने १९ सौ ५० रूपये में बेचे है। हमे जो मूल्य मिला है वो सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर जो मूल्य निर्धारित किया गया है। उससे भी कम है। हम यह नही जानते की सोसायटी मे समर्थन मूल्य पर कब धान खरीदी जायेगी। आगामी समय पर्व का दौर है हमारी मजबूरी है कि हम लोगो को पैसे की सख्त जरूरत है। हम सरकार से यही चाहते है कि मंडी में भी व्यपारी हमारी धान को उचित दाम में खरीदे।
इनका कहना है –
पद्मेश से दूरभाष पर चर्चा करते हुये कृषि उपज मंडी सचिव डीएल पंचेश्वर ने बताया कि वे फिलहाल चुनाव डुॅयटी पर तैनात है। व्यपारी गण धान की क्ॅवालिटी देखकर धान खरीदी करते है। कई मर्तबा कास्तगार पोची धान के ढ़ेर डाल देते है। इसलिये वे काफी परख के धान की खरीदी करते है। मेरा विचार है कि व्यपारी सोच समझकर ही धान को देखते हुये खरीदी कर रहे है।
डीएल पंचेश्वर

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