वारासिवनी(पद्मेश न्यूज)। नगर के वार्ड नंबर १० स्थित गांधी चौक में २४ अगस्त को तान्हा पोला का आयोजन किया गया। जिसमें वारासिवनी नगर के इतिहास में चौथी बार प्राचीन परंपरा को पुनर्जीवित करते हुए तान्हा पोला का आयोजन किया गया। जिसमें दर्जनों बच्चो ने अपने लकड़ी के बने नंदी के साथ उपस्थिति दर्ज कराई। जहां नौनिहालों की नदी के साथ भीड़ लगी रही इस दौरान विभिन्न आकृति और रंगों में बने नदी को देखने के लिए लोगों की भी उपस्थिति रही । वहीं कुछ नौनीहालों के द्वारा किसानो एवं भगवान कृष्ण की वेशभूषा भी धारण कर उपस्थिति दर्ज कराई गई जहां हर्षउल्लास के साथ तान्हा पोला पर्व मनाया गया। इस अवसर पर गांधी चौक मित्र मंडल सहित बड़ी संख्या में नगर वासी मौजूद रहे।
बच्चों में दिखा उत्साह
नगर के विभिन्न स्थानों से नन्हे मुन्ने बच्चे गांधी चौक में एकत्रित हुए जहां पर नगर वासियों के द्वारा बच्चे एवं उनके नंदी को तिलक लगाकर भेंट स्वरूप चॉकलेट, कुरकुरे, पेन पेंसिल, गमछा, टोपी व अन्य चीजों का वितरण किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में नगर वासियों ने उपस्थिति दर्ज करवा कर कार्यक्रम को सफ ल बनाया और उक्त कार्यक्रम का जमकर आनंद लिया। बच्चो द्वारा तरह तरह के वेशभूषा में अपने नंदी देव को सजा कर वह अन्य साज सज्जा कर लेकर उपस्थित हुये। जिसके बाद सामूहिक राष्ट्रगान कर तोरण तोडकर कार्यक्रम का समापन किया गया।
नंदी रहे आकर्षण का केंद्र
इस प्रतियोगिता में आकर्षण का केंद्र नन्हे मुन्ने नौनिहालों के द्वारा लाये गए छोटे बड़े नंदी जी ने विभिन्न रंगों व वस्तुओं से आकर्षक रूप से सजाया गया था। जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर ध्यान खींच रहे थे जो प्रमुख रूप से आकर्षण का केंद्र है। वहीं नन्हे मुन्ने बच्चे भी धोती कुर्ता पैजामा सहित किसानो की वेशभूषा के रूप में कंधे पर गमछा डालें काफ ी सुंदर प्रतीत हो रहे थे। जहां कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के द्वारा सभी की जमकर सराहना की गई।
तान्हा पोला की परम्परा को जिन्दा रखने का प्रयास किया जा रहा है- संदीप मिश्रा
पद्मेश से चर्चा में पार्षद संदीप मिश्रा ने बताया कि नगर में बच्चों के उत्साह को देखते हुए चौथी बार तान्हा पोला का आयोजन किया गया है। जिसमें बहुत अधिक बच्चों ने अपने लकड़ी के नंदी को सॉज सज्जा कर लाया है। जिनकी उपस्थित जनों के द्वारा पूजा अर्चना कर स्वेच्छा अनुरूप पुरस्कार का वितरण किया गया। सभी लकड़ी के नदियों की पूजा अर्चन की गई। यह हमारी बहुत पुरानी परंपरा है जो कहीं गुम हो गई थी जिसे पुनर्जीवित करने का कार्य किया जा रहा है। यह मुख्यता महाराष्ट्र की संस्कृति है और निश्चित ही आने वाले वर्ष में भव्य रूप से इसका आयोजन किया जायेगा। तान्हा पोला कार्यकम को आगामी समय में और अधिक भव्यता प्रदान की जायेगी।