ओडिशा में 300 से अधिक आदिवासी लोगों ने गांव के कब्रिस्तान में रात भर जागकर पहरा दिया, ताकि उसमें ईसाई के शव को दफन नहीं किया जा सके। यह घटना शुक्रवार को नबरंगपुर जिले के झरीगांव प्रखंड के तहत आने वाले भात्रा जनजाति बहुल गुड़ीबदाना गांव की है। मृतक की पहचान जीतू भात्रा (65) के रूप में की गई है। जिसने कई साल पहले ईसाई धर्म अपनाया था और शुक्रवार की शाम को उसकी मौत हो गई।
जब उनके दो बेटों ने गांव के कब्रिस्तान में उसके शव को दफनाने की कोशिश की तो ग्रामीणों ने उन्हें अंतिम संस्कार नहीं करने देने का फैसला किया। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मृतक का परिवार गांव में शव को दफनाने में कामयाब न हो सके, गुड़ीबदाना गांव के लोगों ने गांव में पहरा दिया। इसके कारण मृतक के परिजन 24 घंटे तक शव को घर से बाहर नहीं निकाल पाए।
गांव के निवासी गण भात्रा ने कहा कि हमारी परंपरा के अनुसार बाहरी लोगों या अन्य धर्मों के व्यक्तियों को हमारे गांव के श्मशान घाट में अंतिम संस्कार या दफनाने की अनुमति नहीं है। इस परिवार ने ईसाई धर्म छोड़ने से इनकार कर दिया था, इसलिए हमने उन्हें शव को दफनाने नहीं दिया। अंतत: प्रशासन ने मामले में हस्तक्षेप किया। परिवार से अनुरोध किया गया था कि वे गांव से पांच किमी दूर पुजारीगुडा कब्रिस्तान में शव को दफनाएं। हालांकि स्थानीय लोगों ने इस कदम का एक बार फिर विरोध किया। अंत में शव को जिला मुख्यालय नबरंगपुर के पास एक चर्च ले जाया गया। इलाके के आदिवासी अंतिम संस्कार के लिए दफनाने और दाह संस्कार दोनों की प्रथा का पालन करते हैं।