पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में बोले पीएम मोदी, लोकतंत्र भारत का स्वभाव और सहज प्रकृति है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (बुधवार) 82वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हिस्सा हिया। वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उन्होंने सम्मेलन को संबोधित किया। कहा कि ये सम्मेलन हर साल कुछ नए विमर्शों और नए संकल्पों के साथ होती है। हर साल इस मंथन से कुछ न कुछ अमृत निकलता है। आज इस परंपरा को 100 साल हो रहे हैं ये भारत के लोकतांत्रिक विस्तार का प्रतिक है। उन्होंने कहा लोकतन्त्र भारत का स्वभाव है, भारत की सहज प्रकृति है।

पीएम मोदी ने कहा, ‘हमें आने वाले सालों में, देश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाना है, असाधारण लक्ष्य हासिल करने हैं।’ ये संकल्प सबके प्रयास से ही पूरे होंगे। उन्होंने कहा कि चाहे पूर्वोत्तर की दशकों पुरानी समस्याओं का समाधान हो,दशकों से अटकी-लटकी विकास की तमाम बड़ी परियोजनाओं को पूरा करना हो। ऐसे कितने ही काम हैं जो देश ने बीते सालों में किए हैं, सबके प्रयास से किए हैं।अभी सबसे बड़ा उदाहरण हमारे सामने कोरोना का भी है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदन में हमारा खुद का आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो ये हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘अपनी हजारों वर्ष की विकास यात्रा में हम इस बात को अंगीकृत कर चुके हैं कि विविधता के बीच भी, एकता की भव्य और दिव्य अखंड धारा बहती है।’ एकता की यही अखंड धारा, हमारी विविधता को संजोती है, उसका संरक्षण करती है।

उन्होंने कहा कि नए सदस्यों को सदन से जुड़ी व्यवस्थित ट्रेनिंग दी जाए। सदन की गरिमा और मर्यादा के बारे में उन्हें बताया जाए। हमें सतत संवाद बनाने पर बल देना होगा। राजनीति के नए मापदंड भी बनाने ही होंगे। इसमे आप सभी भारतीय पीठासीन अधिकारियों की भूमिका भी बहुत अहम है। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विधानमंडलों के सामने ज्वलंत विषयों पर चर्चा और संवाद के माध्यम से देश के सामने सर्वमान्य समाधान प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी है। जिससे लोकतांत्रिक परंपरा मज़बूत और विकसित हो सके। वहीं हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि मुझे ये कहते हुए गर्व हो रहा है कि संसद, विधानसभा और विधान परिषद हमारे देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था के केंद्र बिन्दु हैं। हमारे प्रदेश की विधानसभा को भी गौरवशाली इतिहास रहा है।

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