पूर्वोत्तर उग्रवादियों के लिए फिर पनाहगार बनेगा बांग्लादेश? शेख हसीना सरकार के तख्तापलट से उठे सवाल

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बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन और सियासी उथल-पुथल पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। लगातार पड़ोसी राष्ट्र में मचे घमासान पर बारीकी से नजर रखी जा रही। बांग्लादेश में जिस तरह का घटनाक्रम हुआ उसने केंद्र की मोदी सरकार की टेंशन को बढ़ा रखा है। इसकी कई वजहें मानी जा रही। बांग्लादेश बॉर्डर से घुसपैठ का मुद्दा बेहद अहम माना जा रहा। यही नहीं पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवादी गतिविधियों को लेकर भी चिंता बढ़ गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बांग्लादेश में अशांति का फायदा उठाकर उग्रवादी संगठन फिर से वहां पनाह ले सकते हैं। ऐसे में पूर्वोत्तर राज्यों में शांति व्यवस्था पर असर पड़ सकता है।

असम के सीएम ने जताई चिंता

बांग्लादेश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अस्थिरता पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादी संगठनों के लिए एक बार फिर से पनाहगाह बन सकती है। पड़ोसी मुल्क में हो रही घटनाएं हमारे लिए दो एंगल से चिंताजनक हैं। अगर बांग्लादेश में अशांति बनी रहती है तो लोग भारत में एंट्री का प्रयास करेंगे। हमें बॉर्डर को सुरक्षित करना होगा। शेख हसीना के कार्यकाल में पूर्वोत्तर भारत के उग्रवादियों को बांग्लादेश से खदेड़ दिया गया था।

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