फाइटर, मिसाइल, आईफोन, ईवी… अमेरिका पर मेहरबान हुआ चीन, भारत का नंबर कब आएगा?

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नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रेयर अर्थ और मैग्नेट भेजने के लिए सहमत हो गए हैं। यह कदम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव को कम कर सकता है। टैरिफ को लेकर तनातनी के बीच चीन ने 4 अप्रैल को इस तरह के खनिजों पर एक्सपोर्ट कंट्रोल लगाया था। रेयर अर्थ तत्वों से बने चुंबक बहुत जरूरी हैं। इनका इस्तेमाल आईफोन, इलेक्ट्रिक वाहन, F-35 जैसे लड़ाकू विमान और मिसाइल सिस्टम में होता है। इनकी आपूर्ति पर चीन का पूरी तरह से नियंत्रण है। चीन ने अमेरिका के साथ-साथ भारत को भी रेयर अर्थ मैग्नेट्स की सप्लाई रोक दी थी।

एयर फोर्स वन में एक रिपोर्टर ने ट्रंप से पूछा कि क्या शी जिनपिंग रेयर अर्थ के एक्सपोर्ट के लिए सहमत हुए हैं? ट्रंप ने जवाब दिया, “हां, वे सहमत हो गए हैं।” हालांकि वाशिंगटन स्थित चीनी दूतावास ने तुरंत इस पर कोई टिप्पणी नहीं की। ट्रंप का यह बयान शी जिनपिंग के साथ हुई एक दुर्लभ बातचीत के एक दिन बाद आया है। इस मुद्दे पर तनाव कम होने का एक और संकेत यह है कि चीन ने शीर्ष तीन अमेरिकी ऑटोमोबाइल कंपनियों के दुर्लभ अर्थ सप्लायर्स को अस्थायी निर्यात लाइसेंस दे दिए हैं। अमेरिकी अधिकारी आगे की बातचीत के लिए सोमवार को लंदन में चीन के अधिकारियों से मिलेंगे।

राजनीतिक दबाव

ट्रंप ने कहा, “हम चीन के साथ समझौते पर बहुत आगे बढ़ चुके हैं।” दोनों देशों ने 12 मई को जिनेवा, स्विट्जरलैंड में एक समझौता किया था। इसके तहत ट्रंप के जनवरी में पदभार संभालने के बाद से एक-दूसरे पर लगाए गए ज्यादातर भारी-भरकम टैरिफ को 90 दिनों के लिए वापस लेने पर सहमति बनी थी। व्यापार में रुकावटों को लेकर चिंतित वित्तीय बाजार इस खबर से उत्साहित थे। लेकिन चीन ने अप्रैल में कई महत्वपूर्ण खनिजों और चुम्बकों के निर्यात को निलंबित करने का फैसला किया था। इससे ऑटोमोबाइल कंपनियों, कंप्यूटर चिप निर्माताओं और दुनिया भर के सैन्य ठेकेदारों को जरूरी सामान की आपूर्ति बाधित हो गई थी।

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