वारासिवनी के लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के विशेष अदालत द्वारा एक बच्ची के साथ रेप एंड मर्डर के मामले में आरोपी गिरधारी पिता धनलाल सोनवाने 42 वर्ष को फांसी की सजा सुनाई गई है। यह बालाघाट के इतिहास मे पहला मामला है जब किसी आरोपी को ऐसी जघन्य सनसनीखेज मामले में फांसी की सजा सुनाई गई। यदि यह मामला अरब देश का होता तो फांसी के आदेश के तुरंत बाद ही ऐसे दरिंदो को बीच चौराहे में फांसी पर लटका दिया जाता या फिर गोली से धुन दिया जाता। किंतु भारत एक ऐसा देश है। जहां का संविधान लचीला होने के कारण ऐसे मामलों में आरोपियों को उसके द्वारा किए गए अपराध से बचने के लिए अवसर दिया जाता है। मध्य प्रदेश में बच्चियों से रेप और हत्या के 42 दरिंदों को अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। जो प्रदेश के अलग-अलग जेल में बंद है। लेकिन अभी तक किसी को फंदे पर नहीं लटकाया जा सका। फांसी के मामलों में सेशन कोर्ट, स्पेशल कोर्ट की अपील हाई कोर्ट में की जाती है ।कई बार हाई कोर्ट में केसे होने की वजह से सजा लंबित रहती है ।केसों की भरमार की वजह से ऐसे मामलों की सुनवाई देरी से होती है। यदि हाईकोर्ट द्वारा फांसी की सजा बरकरार रखी जाती है। तब सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाती है और सुप्रीम कोर्ट में ऐसे मामले लंबी कतार में लगे रहते हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी की सजा बरकरार रखी, तो फिर दया याचिका का दौर शुरू हो जाता है। तब तक फांसी की सजा पाए आरोपी उम्र दराज हो जाता है या फिर उसकी मौत हो जाती है। मध्य प्रदेश में बच्चियों से रेप और उनकी हत्या के दरिंदों को अदालत में फांसी की सजा जरूर सुनाई है लेकिन 25 साल में एक को भी फंदे पर नहीं, लटकाया गया। फांसी की सजा पाए 42 दरिंदे अभी जिंदे हैं। अपील दर अपील चल रही है। ज्ञात होगी 31 जनवरी को वारासिवनी के लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की विशेष न्यायाधीश कविता इनवाती की विद्वान अदालत 6 वर्षीय मासूम बच्ची की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास एवं 3 वर्षीय वर्षीय मासूम बच्ची के साथ बलात्कार और उसकी हत्या करने के आरोप में आरोपी गिरधारी सोनवाने को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। यह मामला 4 अप्रैल 2022 को तिरोड़ी थाने की महकेपार पुलिस चौकी क्षेत्र में आने वाले ग्राम चिटका देवरी मैं घटित की गई थी। इस मामले की विवेचना तिरोड़ी थाना के तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक चैन सिंह उइके, उपनिरीक्षक गौरव शर्मा द्वारा की गई थी। विद्वान अदालत ने आरोपी गिरधारी सोनवाने को धारा 363 364 302 201 366 ए 376 376 क ख भादवी और धारा 5 6 7 9 10 10 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध में दोषी पाया। विद्वान अदालत ने अभियोग पत्र पेश होने के बाद डेढ़ साल के भीतर अपना फैसला 31 जनवरी को सुनाया। एक सयोग ही रहा की इस मामले में शासन की ओर से पैरवी कर रहे सहायक जिला अभियोजन अधिकारी शशिकांत पाटील को 31 जनवरी को ही सेवानिवृत्त होना था और उनके लिए यह मामला गौरवशाली रहा ।जिन्होंने इस मामले के युक्ति युक्त संदेह से परे अभियोजन साक्ष्य पेश कर आरोपी गिरधारी सोनवाने को मृत्युदंड की सजा दिलवाई। और सजा दिलवाने के बाद ही वे सेवानिवृत्त हो गए। मगर क्या मृत्युदंड की सजा पाए इस दरिंदे आरोपी की सजा बरकरार रह पाएगी। ज्ञात हो की 25 साल पहले विवेकानंद कॉलोनी में हुई सामूहिक हत्या के मामले में आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी किंतु सभी आरोपी हाई कोर्ट से दोष मुक्त हो गए। इसी प्रकार प्रदेश के पूर्व वन मंत्री लिखीराम कावरे कि नक्सलियों ने हत्या कर दी थी इस मामले में भी फांसी की सजा सुनाई गई थी किंतु सभी आरोपी हाईकोर्ट से साक्षी के अभाव में बरी हो चुके है।