बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि उनकी सरकार गिराने के पीछे अमेरिकी साजिश है। हमारे सहयोगी ईटी को हसीना एक बयान हासिल हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा कि सेंट मार्टिन द्वीप न देने के कारण उन्हें सत्ता से बेदखल किया गया। प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और बांग्लादेश छोड़ने के बाद शेख हसीना की ये पहली टिप्पणी है। शेख हसीना ने कहा, ‘मैं सत्ता में बनी रह सकती थी, अगर मैंने सेंट मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को छोड़ दिया होता और अमेरिका को बंगाल की खाड़ी में अमेरिका को अपना प्रभुत्व कायम करने दिया होता।’ शेख हसीना के बयान ने एक बार फिर से सेंट मार्टिन द्वीप को चर्चा में ला दिया है। आइए जानते हैं कि यह द्वीप बांग्लादेश की राजनीति में कैसे लंबे समय से मुद्दा रहा है और अमेरिका की इस पर क्यों नजर है?
दशकों से राजनीतिक मुद्दा रहा द्वीप
बांग्लादेश दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थिति सेंट मार्टिन द्वीप पर पहली बार विवाद 60 के दशक में सामने आया था। तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान छात्र लीग के छात्रों और कुछ वामपंथियों ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जनरल अयूब खान ने भारत का मुकाबला करने के लिए सैन्य अड्डा बनाने के लिए द्वीप को अमेरिका पर पट्टे पर दे दिया है। हालांकि, 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद यह विवाद खत्म हो गया। लेकिन यह विवाद बांग्लादेश बनने के बाद भी जारी रहा। बाद में जिया उर रहमान और मोहम्मद इरशाद के सैन्य शासन के दौरान भी यह मामला सामने आया।