कोविड-19 के कारण 17 महीने से बंद स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां विधिवत आरंभ की जा चुकी है वही वर्ष 2020- 21 मैं कोविड-19 के कारण स्कूल बंद होने के बाद भी शासन के द्वारा यह प्रयास किए गए की स्कूल में अध्ययनरत कोई भी छात्र मध्यान भोजन से वंचित ना हो क्योंकि स्कूल बंद थे इसलिए बच्चों को सूखा खाद्यान्न उन तक पहुंचाने के लिए कार्य योजना तैयार की गई।
योजना के तहत प्रति बच्चों को 600 ग्राम गेहूं और 3 किलो चावल दिए जाने का प्रावधान किया गया जिसको लेकर बेहतर तरीके से कार्य भी किया गया लेकिन आवंटन में लेटलतीफी के कारण सैकड़ों की संख्या में स्कूलों के छात्रों को सूखा खाद्यान्न नहीं मिल पाया है वहीं कुछ दिन पूर्व शासन के द्वारा मार्च-अप्रैल का आवंटन उपलब्ध कराया गया है लेकिन इसके बावजूद खाद्यान्न वितरण की रफ्तार नहीं बढ़ पाई है।
पद्मेश न्यूज़ टीम के द्वारा विभिन्न स्कूलों का जायजा लिया गया तो खाद्यान्न वितरण को लेकर स्कूलों में जो व्यवस्था अपनाई जा रही है उससे काफी छात्रों तक खाद्यान्न नहीं पहुंच पाया है। नगर के डाइट प्राथमिक स्कूल करीब 350 बच्चे खाद्यान्न के लिए पात्र हैं लेकिन अब तक केवल 65 बच्चों को ही खाद्यान्न वितरित किया गया है।
अधिकांश सरकारी स्कूलों के प्रधान पाठकों का कहना है कि खाद्यान्न वितरण किए जाने के लिए स्व सहायता समूह की भी सहायता ली जा रही है लेकिन इन स्कूलों में पालकों का इंतजार किया जा रहा है जब वह पाठ्यपुस्तक के लिए स्कूल पहुंचते हैं तो उन्हें खाद्यान्न थमा दिया जाता है जबकि शासन के निर्देश हैं कि स्कूली छात्र छात्राओं को उनके घर तक सूखा खाद्यान्न पहुंचाया जाए लेकिन यह प्रक्रिया काफी धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रही है जिससे यह संभव प्रतीत नहीं होता है कि हर छात्र छात्राओं तक यह योजना पहुंच सके।