बीती बारिश में फूटे तालाबो की मरम्मत के लिये शासन से नही आयी राशि सिंचाई विभाग के माथे पर बल

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३ तालाबों की पार पर हुआ था बारिश का असर – एसडीओ
पद्मेश को जानकारी देते हुये सिंचाई विभाग के अनुविभागीय अधिकारी एचआर ठाकरे ने बताया कि बीते वर्ष टुईयापार, छतेरा व सालेटेका के तालाब में भारी बारिश की वजह से कुछ नुकसान हुआ था। कुछ तालाबों की पार तक क्षतिग्रस्त हो गई थी। हमारे द्वारा अक्टूबर माह में ही इन तालाबों के मरम्मती कार्य के लिये स्टीमेट अपने उच्चाधिकारियों को भेज दिया गया था। मगर अभी तक जो स्टीमेट भेजा गया था उसकी राशि फिलहाल स्वीकृत नही हुई है। अभी यह कार्य हम विभागीय तौर पर इधर उधर से करवा रहे है। हमे उम्मीद है कि शीघ्र ही विभाग हमारे बनाये गये स्टीमेट को स्वीकृति प्रदान करेगा।
आर्थिक मद से जूझ रहा विभाग
हम यहा बताते कि सिंचाई विभाग वर्तमान में आर्थिक मद से जूझ रहा है। वर्ष २०१९ से शासन ने सिंचाई विभाग को मेंटेनेंस के नाम पर किसी प्रकार का फंड नही मिला है। जिसकी वजह से ही विभाग के अधिकारी कर्मचारियों को तालाब, पोखर व नहर का मेंटेनेंस करने में काफी परेशानी हो रही है

सिंचाई विभाग को तालाब मरम्मती करण की राशि न उपलब्ध होने की वजह से तालाब व नहर का दुरूस्तीकरण कार्य करवाने में काफी परेशानी का सामना करना पड् रहा है। वारासिवनी सिंचाई विभाग के सर्किल अंर्तगत आने वाले टुईयापार, सोलेटेका व छतेरा में बीते वर्ष फूटे तालाबों का आज तलक तक मरम्मती कार्य नही हुआ है। जिससे सिंचाई विभाग भी काफी असमंजस्य स्थिति में है। ऐसे में सिंचाई विभाग के अध्किारी जोड़तोड़ कर इन ३ तलाबों का मरम्मती निर्माण अपने स्तर पर करवा रहा है।
टुईयापार, छतेरा व सालेटेका तालाब क्षतिग्रस्त
गौरतलब है कि अगस्त माह में हुई बारिश के दौरान टुईयापार, छतेरा व सालेटेका जो खैरलांजी तहसील अंर्तगत आते है उनकी पार अत्याधिक बारिश के कारण फूट गई थी। जिसके बाद सिंचाई विभाग ने एक स्टीमेट बनाकर अपने उच्च कार्यालय को पे्रषित किया मगर वर्ष २०२२ से अब तक इन तालाबों के मरमम्ती करण के लिये किसी प्रकार से शासन ने कोई राशि स्वीकृत नही की है। जिसकी वजह से विभाग के माथे पर बल पड़ गये है।
स्टीमेट बनाने के बाद भी नही स्वीकृत हुई राशि
यहां यह बताना लाजमी है कि वारासिवनी सिंचाई विभाग कार्यालय अनुविभागीय कार्यालय है जिसके अंर्तगत वारासिवनी की ६० व खैरलांजी तहसील की पंचायत भी आती है। ऐसे में विभाग बहुत बारिकी से नहर का निरिक्षण करने के साथ ही तालाब पोखर का भी अवलोकन करता है। ऐसे में बीते एक वर्ष के बाद भी स्टीमेट बनाये जाने के चलते राशि स्वीकृत न होना एक गंभीर मामला है।
वारासिवनी खैरलांजी डिविजन में है ५५ तालाब
गौर करने वाली बात है कि वारासिवनी व खैरलांजी में कुल ५५ तालाब दर्ज है जो शासकीय है। इस हिसाब से इनके मरम्मती कार्य के लिये विभाग को काफी कम राशि का आवंटन होता है। ऐसे में विभाग किसी एक तालाब की तरफ ध्यान न देकर जो तालाब जर्जर अवस्था में आ गये है उन पर ही अपना ध्यान देता है। विभाग का साफतौर पर कहना है कि हमें किसी एक तालाब के लिये राशी का आवंटन नही होता है।

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