भोपाल के इस अस्पताल में डॉक्टरों ने भगवान बनकर बचाई बुजुर्ग मरीज की जान, वरदान साबित हुई नई तकनीक

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के एक अस्पताल ने नई तकनीक का उपयोग करके एक बुजुर्ग पीड़ित मरीज को नई जिंदगी दे दी है। इस प्रक्रिया में उनके फेफड़ों की धमनी में जमे खून के थक्के का सफलतापूर्वक इलाज किया गया है। यह इलाज राजधानी भोपाल के भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में किया गया।

दरअसल, एक 55 साल के बुजुर्ग मरीज को चलने-फिरने और सांस लेने में परेशानी हो रही थी। जब उनकी हालत बिगड़ने लगी तो परिजन उन्हें भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टरों की टीम ने जांच के बाद रेडियोलॉजीकल इंटरवेंशलन प्रक्रिया से इलाज करने का फैसला किया।

इलाज की प्रक्रिया

इस प्रक्रिया में बुजुर्ग मरीज के पैर की नस के माध्यम से कैथेटर का उपयोग करके उपचार किया गया। इस उपचार में पल्मोनरी ऑर्टरी जो फेफड़ों की धमनी होती है में दवा पहुंचाई जाती है। यह दवा खून के थक्के को तोड़ देती है। इस प्रक्रिया को कैथेटर डायरेक्टेड थ्रोम्बोलिसिस कहा जाता है।

डॉक्टरों का क्या कहना

रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टर राधेश्याम मीणा ने बताया कि मरीज पल्मोनरी थ्रोम्बो एम्बोलिज्म नाम की बीमारी से पीड़ित था। उन्होंने कहा कि ऐसे मरीजों का आमतौर पर दवाओं और इंजेक्शन द्वारा इलाज किया जाता है। पर मरीज की गंभीर हालत देखते हुए इस नवाचार के माध्यम से इलाज किया गया। इसलिए डॉक्टरों ने कैथेटर के माध्यम से दवा पहुंचाने का फैसला किया। बीएमएचआरसी की प्रभारी निदेशक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी प्रक्रिया ने गंभीर बीमारियों के इलाज को आसान बना दिया है। छोटे चीरे के माध्यम से बड़े ऑपरेशन किए जा सकते हैं।

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