कोरोना कॉल के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के लोग यही सोच कर मनरेगा के कार्यों में काम कर रहे थे कि उन्हें लॉकडाउन के दौरान दिक्कत नहीं होगी, लेकिन मजदूरों को कोरोना काल के दौरान किए गए कार्य की मजदूरी 2 माह बाद भी नहीं मिल पाई है। पेमेंट नहीं मिलने के कारण मजदूरों में काफी रोष होना बताया जा रहा है।
इसके पीछे कारण यह है कि 1 अप्रैल 2021 से शासन द्वारा एक प्रावधान किया गया है जिसके अनुसार एससी एसटी के लिए अलग एफपीओ और अन्य वर्ग के लिए अलग एफपीओ बनाया गया है। इसके कारण आधे मजदूरों का पेमेंट हो गया है लेकिन आधे मजदूरों को मजदूरी अभी तक नहीं मिल पाई है। बालाघाट जनपद क्षेत्र में ही 10 से 12 हजार मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल पाई है, इस प्रकार जिले की बात करें तो ऐसे मजदूरों की संख्या एक लाख से अधिक होने से इनकार नहीं किया जा सकता है।