चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पर रविवार को दशा माता का पूजन होगा। इस दिन महिलाएं घर में सुख, शांति, समृद्धि तथा आर्थिक उन्नति की कामना से पीपल के वृक्ष का पूजन करेंगी। धार्मिक मान्यता में रविवार के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन निषेध माना गया है। इसी मान्यता के चलते महिलाओं में रविवार के दिन दशा माता का पूजन करने को लेकर असमंजस बना हुआ है। महिलाओं की इसी जिज्ञासा का समाधान करने के लिए नईदुनिया ने धर्मशास्त्र के अनेक जानकारों से चर्चा की, सभी विद्वानों ने एक मत से रविवार के दिन ही दशा माता का पूजन करना बताया।
विद्वानों का कहना है कि तिथि सिद्धांत के अनुसार पर्व व त्योहारों के लिए तिथि को विशेष मान्यता दी जाती है, इस दिन वार की प्रधानता नहीं रहती है। इसलिए रविवार को दशमी तिथि पर सर्वार्थसिद्धि योग, धन दायक पाताल वासिनी भद्रा की साक्षी में पूरे दिन दशा माता का पूजन शुभफल प्रदान करेगा। पूजन में किसी भी प्रकार से वार का दोष नहीं लगेगा।
उदय काल में दशमी..
हिन्दू धर्म की मान्यता में किसी भी व्रत व त्योहार को मनाने के लिए तिथि विशेष मानी गई है। वार की प्रधानता उतना महत्व नहीं रखती है। रविवार को उदयकाल में दशमी तिथि है। सुबह से दोपहर 1 बजकर 13 मिनट तक सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा सुबह 7.03 बजे से शाम 6.08 बजे तक पाताल वासिनी भद्रा की साक्षी भी है। पंचांग की यह स्थिति दशा माता के पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ है।