सितंबर माह के दूसरे सप्ताह के बाद जिले के भीतर अचानक नवजात बच्चों से लेकर बड़े बच्चों में वायरल का प्रकोप तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई दिया। अक्टूबर माह की शुरुआत के इन 3 दिनों में तो जैसे निमोनिया वायरल का प्रकोप बच्चों में बड़ी तेजी से बढ़ गया है। आंकड़ों के मुताबिक बीते 1 सप्ताह के दौरान हर दिन 1 हजार से अधिक बच्चे इलाज के लिए सरकारी और निजी अस्पताल पहुंच रहे हैं
जिले के सरकारी और निजी अस्पताल के भीतर जैसे बीमार बच्चों का मेला सा गया है। जिला अस्पताल में लगभग सभी वार्ड बीमार बच्चों से भर गए हैं हालात यहां तक निर्मित हो गए कि बरामदे में तक बच्चों को अलग से बैठ लगाकर भर्ती किया गया है।
शहर के एक दर्जन से अधिक बच्चों के निजी नर्सिंग होम में भी इसी तरह के हालात बन गए हैं चिकित्सकों के पास बच्चों को भर्ती करने के लिए जगह नहीं बची यह तो छोड़ दीजिए सामान्य दिनों की अपेक्षा ओपीडी में पहुंचने वाले बच्चों की संख्या 50 गुना से अधिक बढ़ गई है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्धार्थ दुबे के अनुसार सितंबर माह के दूसरे सप्ताह के बाद से ही बच्चों में वायरल का प्रकोप देखा जा रहा है। बीते तीन-चार दिनों के दौरान निमोनिया से पीड़ित बहुत अधिक बच्चे अस्पताल पहुंच रहे हैं। निमोनिया से पीड़ित होने वाले बच्चों में 15 दिन के नवजात से लेकर 2 महीने और 10 साल के बच्चे भी शामिल है।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्धार्थ दुबे बच्चों में फैले इस वायरल और निमोनिया के लिए सीधे-सीधे उनके परिजनों माता-पिता और घर के बड़े को मुख्य कारण बता रहे हैं।
इसकी बड़ी वजह कोरोना काल में हम सभी ने मास्क पहना सोशल डिस्टेंसिंग रखी और सैनिटाइजर और सफाई का खूब ध्यान रखा। लेकिन जैसे ही कोरोना का प्रभाव कम हुआ हम यह सब कुछ भूल गए। लेकिन वायरल के कीटाणु अपने साथ घर तक लेकर गए और इससे अपने बच्चों को पीड़ित कर दिया।