जिले में पर्याप्त मात्रा से भी अधिक हुई बारिश के बावजूद भी उचित प्रबंधन ना होने से जहां-तहां पेयजल की कमी देखने को मिल रही है.जिससे जिला अस्पताल भी अछूता नहीं है.जहाँ बालाघाट नगर सहित जिले के ग्रामीण अंचलों से पहुंचने वाले मरीजों के परिजनों को दो घूंट पानी के लिए यह खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. जिला अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में एक- एक वाटर कूलर है बावजूद इसके भी जहाँ ट्रॉमा सेंटर के वाटर कूलर का काम चल रहा है तों वही जिला अस्पताल मे लगे दूसरे वाटर कूलर के 5 नल मे से सिर्फ 3 नल से पानी की सप्लाई की जा रही हैं,उसमे भी फोर्स से पानी नही आ रहा है और उन्ही 3 नल से ट्रामा और जिला अस्पताल मे भर्ती मरीज और उनके परिजन लाइन लागक़र पानी भरने के लिए मजबूर हैं.जहाँ पहले से भर्ती और रोजाना पहुंचने वाले सैकड़ो लोगो को पेयजल की समस्या से दो-चार होना पड़ रहा है.
वार्ड मे भी नहीं पानी की व्यवस्था,कोई खरीदकर तों को सीढ़ी उतरकर बुझा रहा प्यास
एक ओर जिला अस्पताल और ट्रामा सेंटर में भर्ती मरीजों के परिजनों को अपनी प्यास बुझाने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर जिला अस्पताल पैथोलॉजी के पास लगे मात्र एक वाटर कूलर से लोग लाइन लगाकर अपनी प्यास बुझाने के लिए मजबूर हैं.बताया जा रहा हैं. जिला अस्पताल में जिले भर से रोजाना एक हजार से अधिक मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं, जबकि वर्तमान में मेडिकल वार्ड, बच्चा वार्ड, ट्रामा सेंटर का प्रसूता वार्ड सहित अन्य वार्डो मे मरीज पहले से भर्ती है. जहां मरीज के साथ परिवार और पहचान वाले चार से पांच सदस्य साथ रहते हैं.जहाँ भर्ती मरीज के परिजनों को मेडिकल वार्ड, बच्चा वार्ड, ट्रामा सेंटर का प्रसूता वार्ड सहित अन्य वार्ड से सीढ़ियां उतरकर सेंट्रल पैथोलॉजी के पास बने वाटर कूलर के पास आना पड़ता है यदि वे नहीं आते तो उन्हें बोतल खरीद कर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है.
वाटर कूलर परिसर में गंदगी का अंबार,घूम रहे मवेशी
जिला अस्पताल स्थित पैथोलॉजी के पास बने आरओ वाटर कूलर के पास गंदगी का अंबार है. जहाँ डसबीन के पास आवारा मवेशी भोजन की तलाश में घूमते फिरते अक्सर नजर आते हैं.वही मरीज के परिजन झूठी थालियां और बर्तन धोते हैं.जिन्हें रोकने टोकने वाला भी यहां कोई नहीं है. वही लोग इसी गंदगी के बीच बोतल में पानी भरने के लिए मजबूर है. बताया जा रहा है कि वार्डो के अंदर बने बाथरूम में गंदगी रहती है इसीलिए मरीजों के परिजन वहां बर्तन नहीं धोते, हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने बचा हुआ भोजन डालने के लिए डसबीन लगाए गए हैं. लेकिन लोग इसका इस्तेमाल करने के बजाय मशीन के पास ही झूठा या बचा हुआ भोजन फेंक देते हैं. और बर्तन धोकर आगे बढ़ जाते हैं.जिससे यहां जगह-जगह गंदगी हो रही है.तो वहीं आवारा मवेशी भी वाटर कूलर के आसपास दिन भर घूमते रहते हैं. इन्ही सभी अव्यवस्थाओ के बीच जिला अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में भर्ती मरीजों के परिजन दो घूंट पानी की प्यास बुझाने के लिए मजबूर है.
ट्रामा में लगे आरो का काम चल रहा है- धबड़गाव
वही इस पूरे मामले को लेकर दूरभाष पर की गई चर्चा के दौरान सिविल सर्जन डॉ संजय धबड़गांव ने बताया कि ट्रामा सेंटर में भी दो आरों की व्यवस्था है जो पीछे की तरफ लगाए गए थे, उसे सामने की तरफ लगाया जा रहा है। ताकि मरीज और उनके परिजनों को पानी लेने में तकलीफ का सामना ना करना पड़े।अभी आरो लगाने का काम चल रहा है जिसके चलते व्यवस्था में थोड़ा व्यवधान उत्पन्न हुआ होगा, आज शाम तक काम पूरा हो जाएगा और व्यवस्था बहाल हो जाएगी।