गणतंत्र दिवस के मौके पर गूगल ने बनाया खास डूडल:हैंड-कट पेपर आर्ट की मदद से तैयार किया डूडल, रिपब्लिक डे परेड की झलक दिखी

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देश में आज 74वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है। गूगल सर्च इंजन ने इसे स्पेशल बनाने के लिए डूडल बनाकर देशवासियों को बधाई दी है। गूगल ने अपने होम पेज पर जिस डूडल को जगह दी उसे अहमदाबाद के आर्टिस्ट पार्थ कोथेकर ने तैयार किया है।

खास बात ये है कि इस डूडल को हैंड-कट पेपर (हाथ से कागज पर बनाए गए चित्र) की मदद से तैयार किया गया है। डूडल में राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक तथा साउथ ब्लॉक जैसे ऐतिहासिक भवन के साथ गणतंत्र दिवस की परेड को दिखाया गया है। इसमें सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (CRPF) की टुकड़ी और बाइक पर करतब करते जवान दिख रहे हैं।

4 दिन मेहनत कर बनाया डूडल
गूगल ने एक यू ट्यूब (YouTube) वीडियो शेयर कर दिखाया है कि कैसे इस डूडल को पेपर काटकर तैयार किया गया। पार्थ बताते हैं कि इसे तैयार करने में 4 दिन (6 घंटे प्रतिदिन) का समय लगा। डूडल में गूगल को ‘G’,‘O’,‘G’,‘L’ और ‘E’ को अंग्रेजी की छोटी वर्णमाला में लिखा गया है। वहीं राष्ट्रपति भवन के गुम्बद के ऊपर एक गोलाकार सांकेतिक रूप से ‘Google’ शब्द में दूसरे ‘O’ को प्रतिबिंबित किया है।

क्या होता है पेपर हैंड-कट आर्ट?
सेकेंड सेंचुरी में सबसे पहले चाइना में पेपर की खोज हुई और पेपर कटिंग आर्ट की शुरुआत 4th सेंचुरी से हो गई थी। पेपर हैंड-कट आर्ट को बनाने के लिए एक पेपर पर डिजाइन तैयार किया जाता है और फिर सर्जिकल ब्लेड की मदद से पेपर को कट करके आर्ट बनाया जाता है। इसमें सभी लाइन एक-दूसरे से कनेक्टेड होती हैं। गणतंत्र दिवस के मौके पर डूडल पर दिखाए गए आर्ट को 6 दिन में तैयार किया गया है, लेकिन एक आर्ट बनाने में 15 से 20 दिन और कभी-कभी महीनों लग जाते हैं।

कौन हैं डूडल डिजाइन बनाने वाले पार्थ कोथेकर?
रिपब्लिक डे डूडल डिजाइन करने वाले पार्थ का जन्म 00 को हुआ था। वे बचपन से ही पार्थ स्केचिंग और ड्रॉइंग करने में माहिर हैं। 12वीं क्लास के बाद पार्थ ने 2D एनिमेशन सीख लिया था। पार्थ बताते हैं कि एनिमेशन सीखने के बाद उन्होंने स्केचिंग को जारी रखा। वे पहले से ही ब्लैक एंड वाइट में काम करना पसंद करते हैं। पार्थ ने कहा कि बस इसी मीडियम को कपड़कर पहले टी-शर्ट डिजाइन करना शुरू किया। इसके लिए स्टेंसिल्स बनाता था और इसी में एक्सपेरिमेंट्स करता था। बाद में पता चला ये एक आर्टफोर्म बन सकता है तो इसे अपना आर्ट बना लिया।

शुरुआत में परफेक्शन लाने में पार्थ को काफी दिक्कत हुई, लेकिन बाद में लगातार मेहनत करने के बाद सफलता मिल ही गई। पार्थ बताते हैं कि इस आर्ट में एक भी कट अगर गलत लगता है तो कई दिन की मेहनत बेकार हो जाती है। इस लिए इस आर्ट को बनाते समय बहुत ज्यादा फोकस रहने की जरुरत होती है। पार्थ ने अलग-अलग फोर्म्स में कई डिजाइन बनाए हैं जैसे- नाम, टेक्स्ट और पोर्टरेट। न्यूजलैंड में भारत को रिप्रजेंट करते हुए पार्थ एक महीने तक अपने आर्ट डिस्प्ले कर चुके हैं।

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