अनुरा कुमारा दिसानायके ने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति के तौर पर कार्यभार संभाल लिया है। अनुरा ने 21 सितंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी साजिथ प्रेमदासा को करीब 13 लाख वोटों से हराने के बाद सोमवार को शपथ ली है। 55 वर्षीय वामपंथी नेता अनुरा जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के प्रमुख हैं। उनकी पार्टी को भारत के विरोध और चीन प्रति हमदर्दी के लिए जाना जाता रहा है। ऐसे में अनुरा के हाथ में श्रीलंका की सत्ता के आने को भारतीय हितों के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। अनुरा ने भारत से दोस्ती के संकेत दिए है लेकिन ये सवाल बरकरार है कि उनके राष्ट्रपति बनने का नई दिल्ली के लिए क्या मतलब होगा।
फर्स्टपोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, एकेडी कहे जाने वाले अनुरा कुमारा दिसानायके की चीन से करीबी किसी से छुपी नहीं है और बीजिंग की श्रीलंका में उपस्थिति बढ़ाने की कोशिशें भी जगजाहिर हैं। श्रीलंका अपना रणनीतिक हंबनटोटा बंदरगाह 99 साल की लीज पर बीजिंग को सौंप चुका है। श्रीलंका की अंदरुनी राजनीति पर नजर रखने वाले आर भगवान सिंह ने डेक्कन हेराल्ड से बात करते हुए कहा कि एकेडी की जीत भारत के लिए एक चुनौती है। इसकी वजह ये है कि एकेडी का स्वाभाविक सहयोगी स्पष्ट रूप से चीन होगा।
रिश्तों में विश्वास की कमी, भारतीय प्रोजेक्ट में अडंगा लगाने का डर!
एकेडी को 1987 में भारतीय शांति सेना के खिलाफ जेवीपी के विद्रोह के दौरान ही पहली बार प्रसिद्धि मिली थी। उनकी पार्टी जेवीपी ने 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते का विरोध किया था, जिस पर तत्कालीन लंकाई राष्ट्रपति जेआर जयवर्धने और भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हस्ताक्षर किए थे। एकेडी का इतिहास भारत की चिंता बढ़ाता है। हालांकि श्रीलंका के बीते वर्षों में भारत से रिश्ते अच्छे रहे हैं और 2022 के आर्थिक संकट से उबरने में मदद के लिए भी दिल्ली ने 4 बिलियन डॉलर की मदद की थी। इसके बाद श्रीलंका में लंबित कई भारतीय परियोजनाओं को शुरू किया गया लेकिन ऐसे भी अंदेशे हैं कि एकेडी इनमें से कुछ भारतीय समूह की परियोजनाओं को रोक सकते हैं।
एकेडी के चीन के प्रति झुकाव और भारत विरोधी इतिहास के बावजूद एक्सपर्ट का मानना है कि उनके लिए नई दिल्ली को नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। उन्होंने बीते कुछ समय में भारत के साथ जुड़ने की उत्सुकता भी दिखाई है। दिसानायके की पार्टी ने हालिया समय में उस तरह की भारत विरोधी बयानबाजी नहीं की है, जो वह करती रही है। श्रीलंका की संप्रभुता और हितों को सुनिश्चित करने के लिए दिसानायके भारत की अहमियत को समझ रहे हैं। दिसानायके ने इसी साल फरवरी में भारत का दौरा भी किया था। इस दौरान वह विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिले थे।