हाल ही में ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन हादसे ने पूरे देश का दिल दहला दिया है। जहां 7 दिन पूर्व तीन ट्रेनों के आपस में टकराने से 800 से अधिक यात्रियों की मौत हो चुकी है, तो वहीं 1000 से अधिक यात्री घायल हैं ।इस भीषण ट्रेन हादसे के बाद रेलवे मंडल ,सीबीआई, केंद्र और राज्य सहित अन्य एजेंसियां मामले की जांच कर हादसे का पता लगाने में जुटी हुई है। तो वहीं दूसरी ओर रेलवे मंत्रालय ने देश भर के सभी रेलवे स्टेशनों को अलर्ट जारी कर ऐसी घटनाओं को टालने के लिए सजग रहने के निर्देश दिए हैं। जिसमें रेलवे पटरी की साफ, सफाई, लॉकिंग, इंटरलॉकिंग, डबल लॉकिंग, रेलवे सिगल सहित अन्य यंत्रों व उपकरणों की जांच कराने को कहा गया है। ताकि ओडिशा बालासोर जैसी घटना देश के किसी भी हिस्से में ना घटे। लेकिन बात अगर हम बालाघाट जिले की करें तो बालाघाट जिले के किसी भी रेलवे स्टेशन में रेलवे से संबंधित अधिकारी कर्मचारी ना तो रेलवे पटरी की जांच कर रहे हैं और ना ही सिग्नल चेक किए जा रहे हैं। वहीं लॉकिंग डबल लॉकिंग सिस्टम आदि को भी चेक नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा अन्य सिस्टमो की भी जांच पड़ताल नहीं हो रही है। मतलब साफ है कि भले ही रेलवे मंत्रालय द्वारा पूरे देश के रेलवे स्टेशनों को अलर्ट जारी किया गया हो लेकिन इस भीषण ट्रेन हादसे से सबक लेते जिले के कोई भी रेलवे स्टेशन नजर नहीं आ रहे हैं। और ना ही किसी भी रेलवे स्टेशन में विशेष चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। इसका मतलब साफ है कि ओडिशा बालासोर की घटना से बालाघाट जिले के किसी की रेलवे स्टेशनों के अधिकारियों ने सबक नहीं लिया है।
2 जून को बालासोर में हुआ था भीषण ट्रेन हादसा
आपको बताएं कि 2 जून की शाम को ओडिशा के बालासोर में तीन ट्रेन एक दूसरे से टकरा गई थी जहां इस ट्रेन हादसे में 800 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं 1000 से अधिक लोग अब भी घायल बताए जा रहे हैं। जहां ओडिशा बालासोर के बाहानगा स्टेशन के पास शालीमार- चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और बेंगलुरु- हावड़ा एक्सप्रेस ट्रेन पटरी से उतर गई थी, तो वहीं एक अन्य मालगाड़ी के टकराने से यह भीषण ट्रेन हादसा हुआ था। जहां इस हादसे पर कोई रेलवे सिग्नल तो ,कोई लॉकिंग इंटरलॉकिंग सिस्टम को जिम्मेदार ठहरा रहा हैम तो कोई रेलवे पटरी से गाड़ी के डब्बे उतरने की बात कह रहा है। तो कोई सिस्टम के काम ना करने, तो कोई इसे मानवीय भूल बता रहा है। जहां मामले की जांच हर एंगल की जा रही है । उस भीषण ट्रैन हादसे से जिले के रेलवे स्टेशनों ने सबक लेना चाहिए और समय-समय पर सभी सिस्टम को चेक किया जाना चाहिए या फिर कोई विशेष अभियान शुरू करना चाहिए लेकिन जिले के रेलवे स्टेशन में अभियान चलाने के आदेशों का इंतजार किया जा रहा है ।
बालाघाट स्टेशन में है 4-4 डबल लॉकिंग सिस्टम
बात अगर जिले के बालाघाट रेलवे स्टेशन की करें तो बालाघाट रेलवे स्टेशन में बालाघाट, नैनपुर, वारासिवनी, गोंदिया, रेलवे मार्ग पर 4 -4डबल लॉकिंग सिस्टम है। जिसकी एक चाबी “की मेन” के पास तो दूसरी चाबी बालाघाट रेलवे स्टेशन प्रमुख के पास होती है. जहां बालाघाट स्टेशन से पहला लॉक /अनलॉक होने के बाद ही की मैंन द्वारा दूसरी चाबी से लॉक/अनलॉक किया जाता है. जिसके बाद भी गाड़ी एक पटरी से दूसरी पटरी में डाइवर्ट होती है। और उक्त मार्ग से गुजरने वाली ट्रेन को ग्रीन सिग्नल दिया जाता है। बताया जा रहा है कि लॉकिंग सिस्टम में यदि कोई पत्थर अटक जाए,तो लॉकिंग/ऑनलाइन सिस्टम फेल हो जाता है और कई बार रेलवे ट्रैक को इधर-उधर करने में परेशानी आ सकती है। केवल बालाघाट रेलवे स्टेशन ही नहीं बल्कि जिले के अन्य छोटे-बड़े रेलवे स्टेशनों के भी यही हाल हैं। जहां इन सिस्टमो की जांच होती नजर नहीं आ रही है।
सिग्नल की भी नहीं हो रही जांच
बात अगर रेलवे स्टेशन में लगे सिगनलो की करें तो बालाघाट सहित जिले के किसी भी रेलवे स्टेशन या रेलवे स्टेशन के समीप बने सिगनलो की जांच होती नजर नहीं आ रही है। आपको बताएं कि बालाघाट रेलवे स्टेशन में 11 रेलवे सिग्नल और 10 पॉइंट है इसके अलावा समनापुर ,चरेगांव ,लामता, हट्टा, वारासिवनी, कटंगी, तिरोड़ी सहित जिले के विभिन्न प्रमुख रेलवे स्टेशनों और छोटे बड़े रेलवे स्टेशनों में 7-7 सिग्नल, लॉकिंग,अनलाकिंग सिस्टम सहित अन्य उपकरण यंत्र है। जिसकी जांच होती नजर नहीं आ रही है।
जल्द शुरू करेंगे अभियान- के एम चौधरी
इस पूरे मामले को लेकर की गई चर्चा के दौरान बालाघाट रेलवे स्टेशन प्रबंधक केएम चौधरी ने बताया कि ओडिशा बालासोर रेल दुर्घटना के बाद सभी रेलवे स्टेशनों को अलर्ट किया गया है। लेकिन विशेष चेकिंग अभियान चलाने के निर्देश फिलहाल प्राप्त नहीं हुए हैं ।वैसे भी हम समय-समय पर उपकरणों की जांच करते रहते हैं, सभी सिस्टमो की जांच के लिए अलग-अलग विभाग से अलग-अलग जिम्मेदारों को उनकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जो समय-समय पर उनकी जांच करते रहते हैं। जल्द ही स्थानीय स्तर से विशेष चेकिंग अभियान चलाकर इन सिस्टमो की जांच की जाएगी ।