सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित को झटका, जमानत अर्जी खारिज

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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म के आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दी। न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान आपत्तिकर्ता व फरियादी की ओर से अधिवक्ता ब्रह्मानंद पांडे ने जमानत अर्जी का विरोध किया। उन्होंने दलील दी कि छतरपुर के थाना सटई में आवेदक सहित अन्य के खिलाफ धारा-376 सहित अन्य के तहत अपराध कायम किया गया है। आरोपित ने अपने साथी गोपाल पाल के साथ मिलकर रात्रि 12 बजे उस मकान में प्रवेश किया, जिसका मुखिया कामकाज के सिलसिले में बाहर गया था। घर पर महिला अकेली थी। इसी बात का फायदा उठाकर आरोपितों ने दीवार फांदी और भीतर प्रवेश कर गए। मुंह दबाकर महिला की अस्मिता से खिलवाड़ किया।

पुलिस ने अपराध कायम करने के बाद डीएनए रिपोर्ट हासिल की है, जिसके मुताबिक आवेदकों द्वारा दुष्कर्म का तथ्य रेखांकित हुआ है। इस तरह के मामले में जमानत का लाभ देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर जमानत अर्जी खारिज कर दी।

अतिक्रमण मामले में ठोस कार्रवाई के निर्देश : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पचमढ़ी कैंट अतिक्रमण मामले में ठोस कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने पूर्व में सुनवाई पूरी होने के बाद सुरक्षित किया गया अपना आदेश शुक्रवार को सुनाया। जिसमें साफ किया गया कि राज्य शासन बी-टू लैंड का फ्रेश सर्वे करे। इसके जरिये यह सुनिश्चित किया जाए कि इस भूमि पर वर्तमान में कितने अतिक्रमण शेष हैं। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद निर्धारित की गई है। इस दौरान आगामी प्रगति की समीक्षा कर नए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे। हाई कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में राज्य शासन को यह भी निर्देश दिया है कि एक माह के भीतर अतिक्रमण कारियों के पुनर्वास के सिलसिले में अपेक्षित बजट जारी कर दिया जाए। इससे तीसरी श्रेणी के अतिक्रमणकारियों को लाभ दिया जाएगा।

यही नहीं राज्य शासन 77 विस्थापित परिवारों के पुनर्वास के संबंध में तीन माह के भीतर ठोस कार्रवाई करे। कैंट बोर्ड व डिफेंस इस्टेट ऑफिसर 10 दिन के भीतर कलेक्टर होशंगाबाद व पुलिस अधीक्षक होशंगाबाद से संपर्क साधें। इसके जरिये अतिक्रमणकारियों को बेदखल किए जाने की कार्रवाई के लिए अपेक्षित सहयोग हासिल किया जाए। मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली सहित अन्य ने पक्ष रखा।

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