होली के रंगों-पिचकारियों व बताशों से गुलजार हुआ मार्केट

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हिन्दु धर्मालंबियों का ५ दिवसीय रंगोत्सव का पर्व ७ मार्च को हालिका दहन के साथ प्रारंभ हो जायेगा और ८ मार्च को पूरे क्षेत्र में धुरेड़ी का पर्व धूमधाम से मनाया जायेगा। होली पर्व को लेकर नगर मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलों में लोगों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारी कर लिये है और पर्व को लेकर सभी उत्साहित नजर आ रहे है एवं चौक-चौराहों में ७ मार्च को होने वाले होलिका दहन की तैयारी जोरों पर जारी है। नगर मुख्यालय में रंग-बिरंगी पिचकारी, गुलालों, टोपियों, मुखौटों व बताशों के मालों से बाजार गुलजार हो चुका है और बच्चों के द्वारा अपनी पसंदीदा पिचकारी, मुखौटे, पोंगा-तुर्रा सहित अन्य खिलौने की खरीदी की जा रही है परन्तु बाजार में रौनक कम नजर आ रही है जिसका मुख्य कारण महंगाई को माना जा रहा है। वहीं कुछ दुकानदार तो दुकान सजाकर ग्राहक का इंतेजार करते भी नजर आये जिनका कहना है कि होली पर्व को लेकर सामग्री की खरीदी कर लिये है परन्तु पर्व को शेष एक दिन बचा है, १० प्रतिशत भी व्यापार नही हुआ है जिससे ऐसा लग रहा है जितनी राशि का सामान खरीदी कर लाये है उतना निकलना भी मुश्किल है। इस तरह बढ़ती महंगाई के कारण व्यापारियों का व्यापार मंद चल रहा है जिन्हे उम्मीद है कि होलिका दहन के दिन ७ मार्च को व्यापार में उछाल आ सकता है।

महंगाई का दिखा असर, कम नजर आई ग्राहकी

रंगो का त्यौहार हिन्दुधर्मालंबियों के द्वारा ८ मार्च को क्षेत्र में हर्षोल्लास से मनाया जायेगा। रंगोत्सव पर्व को लेकर लोगों में उत्साह कम नजर आ रहा है जिसका मुख्य कारण बढ़ती महंगाई को माना जा रहा है साथ ही होली पर्व पर मार्केट में बताशों की मालाएं, आर्कषक पिचकारियां, रंग गुलाल, टोपियों व मुखौटे से बाजार क्षेत्र गुलजार हो गया है। होली दहन के एक दिन पूर्व ६ मार्च को नगर मुख्यालय के बाजार क्षेत्र में होली पर्व को लेकर भीड़ बाजार क्षेत्र में दिखाई नही दी जिससे दुकानदार में भी मायुस नजर आये।

आज होगा होलिकादहन, धुरेड़ी ८ को

हिन्दु धर्मालंबियों के द्वारा पांच दिवसीय रंगोत्सव पर्व प्रतिवर्ष हर्षोल्लास से मनाया जाता है एवं देश के अलग-अलग रा’यों में इसे मनाने का अलग-अलग तरीका होता है। इस वर्ष ७ मार्च को रात्रि में होलिका दहन होने के बाद दूसरे दिन ८ मार्च को धुरेड़ी पर्व मनाया जायेगा जिसमें लोग गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर बधाई देंगे। धार्मिक परंपराओं के अनुसार आज भी शक्कर की चासनी से बनाई जाने वाली माला होली की प्रमुख मिठाई है, ग्रामीण क्षेत्रों में माला को भेंट कर व गले में पहनाने की परम्परा आज भी बरकरार है। धुरेड़ी पर्व के दुसरे दिन भाईदुज का त्यौहार मनाया जायेगा और यह पर्व परंपरानुसार पंचमी तक मनाया जाता है।

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