पोलीपाथर स्थित बादशाह हलवाई मंदिर में भगवान गणेश 13वीं शताब्दी से विराजे हैं। खास बात यह है कि इस मंदिर में विशेष रुप से श्री यंत्र बना है। मंदिर में संगमरमर के स्तंभ लगे हैं जिसमें दिशाओं के साथ ही 27 नक्षत्र बने हैं जो कहीं अन्य मंदिरों में बहुत कम देखने मिलते हैं । गोंड कालीन इस मंदिर में भगवान गणेश की 16 भुजा वाली प्रतिमा स्थापित है जो रिद्धि सिद्धि के साथ है। पहाड़ पर बने इस मंदिर में शहर के अलावा दूर-दूर से लोग अपनी कामनाओं की पूर्ति के लिए आते हैं।
गोंड शासकों ने करवाया था निर्माण: इस मंदिर का निर्माण गोंड शासकों ने करवाया था ज्ञात इतिहास के अनुसार इस मंदिर में गोंडवाना साम्राज्य की रानी दुर्गावती पूजन करने आती थी मंदिर में भगवान गणेश के अलावा भगवान महादेव भी विराजे हैं। मंदिरों की दीवार से लेकर स्तंभों में हर युग के देवी देवताओं की प्रतिमा बनी है। जिसके दर्शन करने भी भक्त पहुंचते हैं।
इसलिए बादशाह हलवाई मंदिर नाम पड़ा: इस मंदिर को बादशाह हलवाई मंदिर के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि मंदिर पहाड़ में होने के कारण जर्जर अवस्था में था । तब क्षेत्र के बादशाह हलवाई ने इसका जीर्णोद्धार कराया था तभी से इस मंदिर को लोग इस नाम से जानते हैं।
इच्छाओं की करते हैं पूर्ति: मंदिर के पुजारी राम गोपाल दुबे ने बताया कि जहां विशेष रूप से लोग इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। दरबार में धन और संतान की प्राप्ति के लिए लोग प्रार्थना करते हैं और मनोकामना पूरी होने पर आकर अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।
मंदिर के पास है प्राचीन गुफा: मंदिर के पीछे खुले क्षेत्र में एक प्राचीन गुफा है। बताया जाता है कि इस गुफा से रानी दुर्गावती मदन महल किला से मंदिर पहुंचती थी। रानी दुर्गावती नर्मदा स्नान के लिए भी यहीं से जाती थीं । वर्तमान में इस गुफा के द्वार को बंद कर दिया गया है, क्योंकि दो- तीन सीढ़ी के बाद कोई आगे जा नहीं पाता।