ऐसे बुजुर्ग माता-पिता जिनकी संतानों ने उन्हें छोड़ दिया और बेसहारा कर दिया ऐसे बुजुर्गों को सहारा देने का काम छतरपुर जिले के घुवारा कस्बे की भगवती ने किया। वह तेरह साल से बुजुर्गों की सेवा कर बेटों की तरह फर्ज अदा कर रही हैं। पुरुष प्रधान समाज में स्त्री होने के बावजूद वर्षों से असहाय बुजुर्गों के लिए भगवती पालनहार हैं जो बुजुर्गों की अपने मां पिता की तरह सेवा करती हैं और उनके देहांत के बाद भी परिवार की तरह अंतिम संस्कार का कर्तव्य निभाती हैं। बीते 13 वर्षों में 80 से ज्यादा बुजुर्गों का अंतिम संस्कार भगवती ने बेटों की तरह किया है।
भगवती छतरपुर जिले के घुवारा नगर में तहसील के पास मां भगवती वृद्धाश्रम चलाती हैं। जहां वर्तमान में करीब 20 बुजुर्ग निवासरत हैं यहां अधिकांश ऐसे बुजुर्ग हैं जिन्हें परिवार ने बेसहारा कर घरों से निकालकर सड़कों पर छोड़ दिया। ऐसे बेसहारों का सहारा बनकर भगवती लंबे समय से सेवा कर रही हैं।
जब आश्रम में बुजुर्गों की सेवा होती दिखी तो जनसहयोग भी आने लगा। अब जनसहयोग से यह आश्रम संचालित हो रहा है। जहां भगवती की छह लोगों की टीम बुजुर्गों की सेवा में जुटी रहती है। यही नहीं सेवा के साथ ऐसे बुजुर्ग जो परिवारों से बिछड़ गए थे या दिमागी हालत खराब होने से घर से दूर हो गए ऐसे 50 से ज्यादा भूले भटके बुजुर्गों को परिवार से मिला चुकी हैं।